भारत में नई सहकारिता नीति जुलाई में होगा लागू--जानिए बिहार के विकास में कैसे मदद करेगी नया नीति नियम ?

भारत में नई सहकारिता नीति जुलाई में  होगा लागू--जानिए बिहार के विकास में कैसे मदद करेगी नया नीति नियम ?
भारत में नई सहकारिता नीति जुलाई में  होगा लागू--जानिए बिहार के विकास में कैसे मदद करेगी नया नीति नियम ?

NBL PATNA :  भारत में नई सहकारिता नीति को जुलाई में लागू किया जा सकता है। नई राष्ट्रीय सहकारिता नीति का मसौदा तैयार हो चुका है। देश के पहले सहकारिता मंत्री अमित शाह को पूर्व मंत्री सुरेश प्रभु की अध्यक्षता वाली 49 सदस्यीय कमेटी ने सोमवार को न्यू कोआपरेटिव पॉलिसी ड्राफ्ट सौंपा। कमेटी की सिफारिशों के आधार पर एक संशोधित ड्राफ्ट तैयार कर नई पॉलिसी बनाई जाएगी।

सहकारिता की वर्तमान नीति 2002 में तैयार की गई थी। लेकिन बदले हुए आर्थिक परिदृश्य से निपटने के लिए एक नई राष्ट्रीय नीति का मसौदा तैयार करने के लिए सरकार ने एक कमेटी का गठन किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'सहकार से समृद्धि' के विजन को साकार करने के लिए एक नई नीति का ड्राफ्ट तैयार करने के लिए 2 सितंबर 2022 को सुरेश प्रभु की अध्यक्षता में 49 सदस्यीय कमेटी का ऐलान किया गया।

सुरेश प्रभु की अध्यक्ष वाली कमेटी ने नई राष्ट्रीय सहकारिता नीति का ड्राफ्ट तैयार करने के बाद सोमवार को केंद्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह को उसे सौंपा। कमेटी के सदस्यों ने एक मीटिंग में केंद्रीय मंत्री को नई नीति के ड्राफ्ट के बारे में जानकारी भी दी। राज्य सरकारों, केंद्रीय मंत्रालयों, विभागों, राष्ट्रीय सहकारी समितियों आदि सहित सभी स्टेकहोल्डर्स से रिव्यू के बाद जुलाई में नई सहयोग नीति की घोषणा की जा सकती है।

मीटिंग में अमित शाह व सुरेश प्रभु के अलावा नेशनल कोआपरेटिव यूनियर ऑफ इंडिया के अध्यक्ष दिलीप संघानी, नाबार्ड के चेयरमैन केवी शाह, नेफकब के चेयरमैन ज्योतिंद्र मेहता, ग्रामीण प्रबंधन संस्थान आनंद (आईआरएमए) के निदेशक उमाकांत दाश, आरबीआई के निदेशक सतीश मराठे और वैम्निकॉम की निदेशक हेमा यादव मौजूद रहे। इसके अलावा यूपी सरकार के सहकारिता विभाग के वित्तीय सलाहकार पी के अग्रवाल, गांधीग्राम ग्रामीण विश्वविद्यालय के प्रोफेसर सी पिचाई और सहकारिता मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद थे।

बिहार पर क्या प्रभाव होगा : सूत्रों की माने तो केंद्र सरकार देश के सहकारी क्षेत्र को उद्यमशील बनाने के लिए नई सहकारिता नीति ला रही है. इसका मकसद राज्यों के ग्रामीण इलाकों को आर्थिक रूप से  सशक्त करना है. माना जा रहा है कि ग्रामीण क्षेत्रों की बहुलता वाले बिहार जैसे राज्यों को इससेकृषि, पशुपालन, खाद्य प्रसंकरण आदि में लाभ मिल सकताहै. हालांकि यह नई नीति की घोषणा के बाद ही पता चलेगा कि इसका व्यापक असर क्या होगा.