बिहार के तीन गांव चरस, स्मैक, ब्राउन शुगर जैसे ड्रग्स के सुपर स्टॉकिस्ट, ड्रग्स सिंडिकेट की कमर तोड़ने का प्लान तैयार...
पटना : भारत-नेपाल सीमा पर बसे बिहार के आठ जिले ड्रग्स तस्करी के हॉट स्पॉट बन गए हैं। पश्चिम चंपारण, पूर्वी चंपारण, मधुबनी, सीतामढ़ी, सुपौल, अररिया, बगहा और किशनगंज उन आठ जिलों में शामिल हैं जिन पर बिहार पुलिस की आर्थिक अपराध ईकाई, नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के साथ-साथ दूसरी केंद्रीय एजेंसियों की भी नजर है। बॉर्डर से दूर बिहार के अंदर तीन जिलों के तीन गांव की पहचान ड्रग्स के सुपर स्टॉकिस्ट के तौर पर बन गई है जिसमें पटना का जेठुली, भोजपुर का मसाढ़ और वैशाली का राघोपुर शामिल है। ईओयू के एडीजी नैयर हसनैन खान ने सीआरपीएफ, एसएसबी, एनसीबी, रॉ, स्पेशल ब्रांच समेत 12 एजेंसियों के साथ मंगलवार को एक हाई लेवल मीटिंग में ड्रग्स सिंडिकेट की कमर तोड़ने का प्लान बनाया।
पुलिस सूत्रों मुताबिक मीटिंग में नारकोटिक्स और ड्रग्स की तस्करी, तस्करी के रूट, तस्करी के हॉट स्पॉट पर फोकस रखकर चर्चा हुई। तय हुआ कि नेपाल बॉर्डर से तस्करी रोकने के लिए सुरक्षा और निगरानी कड़ी की जाए । तस्करों के मूवमेंट की सूचना रीयलटाइम में आपस में साझा की जाए और जरूरत हो तो ज्वाइंट ऑपरेशन चलाकर उन्हें पकड़ा जाए। बिहार पुलिस की बड़ी चिंता पटना का जेठुली, भोजपुर का मसाढ़ और वैशाली का राघोपुर गांव को लेकर उभरी जो राज्य के अंदर ड्रग्स सप्लाई का बड़ा सेंटर बन गया है।
मीटिंग में ईओयू के एसपी ने बताया कि बिहार में 2022 में ड्रग्स तस्करी और सप्लाई के 1290 केस दर्ज किए गए हैं जिसमें 2031 लोग गिरफ्तार हुए। 2017 से 2022 तक राज्य में कुल 6073 लोग अरेस्ट किए जा चुके हैं। राज्य में ड्रग्स और नारकोटिक्स रोकने की नोडल एजेंसी ईओयू ने 2022-23 में 1289 एकड़ और 2021-22 में 620 एकड़ में लगी अफीम की फसल को नष्ट किया। बिहार में 2016 में शराबबंदी लागू होने के बाद से स्मैक, चरस, अफीम, हेरोइन जैसे ड्रग्स की खपत बढ़ गई है।
एडीजी नैयर हसनैन खान ने मीटिंग में शामिल विभिन्न एजेंसियों के पदाधिकारियों से ड्रग्स समेत शराब की तस्करी पर भी किसी तरह की सूचना साझा करने की अपील की। उन्होंने खास तौर पर एसएसबी के वरिष्ठ अधिकारियों से कहा कि नेपाल सीमा पर निगरानी बढ़ाने की जरूरत है क्योंकि बिहार में ज्यादातर ड्रग्स वहीं से आ रहा है।