तेजप्रताप की पत्नी ऐश्वर्या को मिली हाई कोर्ट से फटकार ,कहा गुजारा-भत्ता वापस करो..
NBL News Desk: राजद सुप्रीमो लालू यादव की बड़ी बहू और बिहार के मंत्री तेजप्रताप की पत्नी ऐश्वर्या राय का हाईकोर्ट जाना उनके लिए ही घाटे का सौदा साबित हो गया. दरअसल तेजप्रताप की पत्नी ऐश्वर्या पिछले कुछ समय से पति-पत्नी के रिश्ते में आई खटास की वजह से अलग रह रहीं हैं. ऐश्ववर्या ने भरण पोषण (मेंटेनेन्स) से जुड़े मामले में राशि को बढ़ाने को लेकर हाई कोर्ट में अपील दायर की गई थी. जिसकी बुधवार यानी 10 मई को सुनवाई करते हुए पटना हाई कोर्ट ने राजद सुप्रीमो लालू यादव के बेटे तेज प्रताप को न सिर्फ भरण पोषण की राशि बढ़ाने को लेकर राहत दी है बल्कि ऐश्वर्या राय के लिए बेहद सख्त टिप्पणी भी की.
दरअसल मामले की सुनवाई कर रहे न्यायाधीश पी.बी बजनथ्री और न्यायाधीश अरुण कुमार झा की खंडपीठ ने ऐश्वर्या राय को उनके पति तेज प्रताप से भरण पोषण के तौर पर ली गई राशि को वापस करने का आदेश दिया है.सुनवाई के दौरान पटना हाई कोर्ट ने ऐश्वर्या राय को भरण-पोषण के लिए और ज्यादा पैसे देने का आदेश देने से इनकार कर दिया. जजों की पीठ ने यहां तक कह दिया कि उन्हें भरण पोषण की जो राशि दी जा रही है वह ज्यादा है इसलिए ऐश्वर्या अपने पति को वह राशि वापस कर दें.
इसके अलावा पटना हाईकोर्ट ने निचली अदालत को तीन महीने में सुनवाई पूरी करने का निर्देश दिया गया है. तेजप्रताप यादव ने अपनी पत्नी ऐश्वर्या से तलाक के लिए मुकदमा दायर किया था. जिसके बाद उनकी पत्नी ऐश्वर्या राय ने भी घरेलू हिंसा का मुकदमा किया था.2019 में पटना फैमिली कोर्ट ने एक आदेश में कहा था कि ऐश्वर्या को प्रतिमाह 22 हजार रुपए गुजारा भत्ता के रूप में दिया जाए. साथ ही उसे केस लड़ने का भी खर्च मिले. कोर्ट ने तेज प्रताप से 2 लाख रुपए अतिरिक्त राशि भी देने का निर्देश दिया था.
साल 2018 में राजद सुप्रीमो लालू यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव की शादी बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री दरोगा राय की पोती और राजद के वरिष्ठ नेता रह चुके चंद्रिका राय की बेटी ऐश्वर्या राय से हुई थी. हालांकि शादी के कुछ दिनों बाद ही पति-पत्नी के रिश्ते में खटास की खबर आने लगी. एक दिन ऐश्वर्या राय राबड़ी आवास से रोते हुए बाहर निकल गयी थी. जिसके बाद राजद मंत्री तेज प्रताप यादव अपनी पत्नी ऐश्वर्या से तलाक लेने कोर्ट पहुंचे गए. जब यह मामला पटना के फैमिली कोर्ट में पहुंचा तो उनकी पत्नी ऐश्वर्या राय ने भी पति तेज प्रताप यादव के खिलाफ घरेलू हिंसा का मुकदमा दर्ज करवा दिया.
सुलह की गुंजाइश खत्म होने के बाद फैमिली कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई शुरू की थी. अदालत ने ऐश्वर्या राय के लिए भरण पोषण भत्ता देने का आदेश तो दे दिया लेकिन घरेलू हिंसा के मामले में प्रोटेक्शन को लेकर ऐश्वर्या को राहत नहीं दी.तेजप्रताप की पत्नी ऐश्वर्या ने कोर्ट के इस आदेश को चुनौती देते हुए इस फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट में अपील दायर कर दी. जिस पर बुधवार यानी 11 मई को सुनवाई की गई.सुनवाई के दौरान पटना हाईकोर्ट ने 21 दिसंबर 2019 के फैसले को पलट दिया. हाईकोर्ट ने निचली अदालत को तेज प्रताप पर लगे घरेलू हिंसा के मामले पर एक बार फिर सुनवाई का आदेश दिया है.
किसी भी पति पत्नी के रिश्ते में तलाक के बाद पति या पत्नी को गुजारा भत्ता यानी मेंटेनेंस लेने का हक है. हालांकि यह एक पूर्ण अधिकार नहीं है, कोर्ट का फैसला पति-पत्नी की वित्तीय स्थिति और परिस्थिति दोनों पर गुजारा भत्ता निर्भर करता है. गुजारा भत्ता के लिए दोनों पार्टियों को कोर्ट में अपने इनकम, खर्च के अलावा जीवन यापन के स्टैंडर्ड के बारे में सारी जानकारी देनी होती है. ताकि उस हिसाब से ही स्थायी एलमनी तय की जाए. गुजारा भत्ता के तौर पर बच्चों की शादी के होने वाले खर्च को भी इसमें शामिल करना होता है. बच्चे की शादी का खर्च पति की हैसियत और कस्टम के हिसाब से तय किया जाता है.
भरण-पोषण से जुड़े अलग-अलग कानूनी प्रावधान है जिसके तहत पक्षकार गुजारा भत्ता का दावा कर सकते हैं. इनमें सीआरपीसी की धारा-125, हिंदू मैरिज एक्ट, हिंदू एडॉप्शन एंड मेंटेनेंस एक्ट व घरेलू हिंसा कानून के तहत गुजारा भत्ता का दावा किया जाता है. पति पत्नी के रिश्ते में तनाव और तलाक का रास्ता गुजारे भत्ते से जरूर होकर गुजरता है. यह कानून न सिर्फ भारत में है बल्कि दुनिया के लगभग सभी देश में गुजारा भत्ता को लेकर कानून बनाया गया है.
बीते 1 मई को सुप्रीम कोर्ट ने तलाक को लेकर एक बड़ा फैसला सुनाया था. जस्टिस संजय किशन कौल, संजीव खन्ना, ए. एस ओका, विक्रम नाथ और जे. के महेश्वरी की संवैधानिक बेंच ने कहा कि अगर पति-पत्नी का रिश्ता टूट चुका है और उसमें सुलह की बिल्कुल भी गुंजाइश नहीं बची है, ऐसी स्थिति में कोर्ट संविधान के अनुच्छेद-142 के तहत सुप्रीम कोर्ट को दी गई शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए तलाक को मंजूरी दे सकता है.
कोर्ट के इस फैसले का मतलब है- अब तलाक लेने के लिए छह महीने का इंतजार अनिवार्य नहीं. यानी पति और पत्नी एक दूसरे से तुरंत भी तलाक ले सकते हैं.हालांकि जजों ने इस फैसले को सुनाते हुए ये भी साफ कर दिया कि ये तलाक तभी हो सकता है जब कोर्ट इस बात से पूरी तरह आश्वस्त हो जाए कि शादी टूट चुकी है और पति-पत्नी अब किसी भी सूरत में साथ नहीं रहना चाहते हैं.