अगुवानी- सुल्तानगंज निर्माणाधीन पुल गिरने की जांच पटना उच्च न्यायालय के सिटिंग जज या सीबीआई से हो : सम्राट चौधरी

अगुवानी- सुल्तानगंज निर्माणाधीन पुल गिरने की जांच पटना उच्च न्यायालय के सिटिंग जज या सीबीआई से हो : सम्राट चौधरी
अगुवानी- सुल्तानगंज निर्माणाधीन पुल गिरने की जांच पटना उच्च न्यायालय के सिटिंग जज या सीबीआई से हो : सम्राट चौधरी

NBL DESK :  बिहार में खगड़िया के अगुवानी और सुल्तानगंज के बीच गंगा नदी पर बन रहे फोरलेन महासेतु के नदी में भरभरा कर गिर जाने को लेकर भाजपा ने नीतीश सरकार पर जोरदार हमला बोला है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी ने सोमवार को इसके लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को दोषी बताते हुए कहा कि इस पूरे मामले की जांच पटना उच्च न्यायालय के सिटिंग जज से या केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से कराई जाय। https://youtu.be/OBanRVEgCPQ

पटना स्थित भाजपा प्रदेश कार्यालय में संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए श्री चौधरी ने कहा कि बिहार में ऐसी सरकार है जो लूट में शामिल रहने वालों से ही जांच कराना चाहती है। उन्होंने कहा कि इस मामले में ठेकेदार किसने बहाल किया? किस रिपोर्ट के आधार पर यह तकनीक अपनाया गया? सहित भ्रष्टाचार का जो पूरा खेल हुआ उसकी भी जांच होनी चाहिए। 

श्री चौधरी ने कहा कि निष्पक्ष जांच के बाद दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा। उन्होंने कहा कि आखिर बिहार में हो क्या रहा है? बिहार में पहले विकास की चर्चा होती थी लेकिन आज पुल ध्वस्त होने की चर्चा हो रही है। इंजीनियर मुख्यमंत्री के रहने के बावजूद देश  बिहार में पूरा इंजीनियरिंग फेल होते देख रहा है। उन्होंने नीतीश कुमार पर कटाक्ष करते हुए कहा कि जब इंजीनियर मुख्यमंत्री के रहते 1700 करोड़ की लागत से बन रहा पुल गिर रहा है तो अब बिहार का भगवान ही मालिक है।

भाजपा नेता ने नीतीश कुमार पर निशाना साधते हुए कहा कि नीतीश कुमार की देखरेख में भ्रष्टाचार हो रहा है।उन्होंने साफ लहजे में कहा कि सभी भ्रष्टाचार मुख्यमंत्री के सामने हो रहा है और यही उनका विकास मॉडल है। नीतीश कुमार 18 साल से मुख्यमंत्री है, इस कारण वे जिम्मेदारी से नहीं भाग सकते हैं। उन्हे इसका जवाब देना होगा।

श्री चौधरी ने यह भी कहा कि जनता के जिस पैसे का नुकसान हुआ है वह मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री से निजी तौर पर वसूल करना चाहिए।

संवाददाता सम्मेलन में पूर्व पथ निर्माण मंत्री नितिन नवीन ने कहा कि इस पुल का निर्माण ईपीसी एग्रीमेंट के तहत हो रहा था। इसका डिजाइन 2016 में फाइनल किया गया था और उस समय किसकी सरकार थी, सभी जानते हैं। उन्होंने कहा कि हमलोगों ने आईआईटी रुड़की और एन आई टी से जांच कराई तब सभी बातें सामने आ गई। इसकी फाइंडिंग सामने आने के बाद इस पुल का निर्माण कार्य रोकने की जगह क्यों फिर से शुरू करा दिया गया, इसकी जांच होनी चाहिए। 

उन्होंने कहा कि मार्च में विधानसभा में कई विधायकों द्वारा पूछे गए प्रश्न के उत्तर में पथ निर्माण मंत्री तेजस्वी यादव ने  पुल का काम सही ढंग से चलने का सर्टिफिकेट दिया था। उन्होंने यह भी कहा था कि 2023 के अंत  तक यह पुल बन कर पूरा हो जाएगा। 

श्री नवीन ने यह भी कहा कि तेजस्वी यादव जी खुद आईआईटी, रुड़की की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि पुल का डिजाइन ही गड़बड़ था। अगर गड़बड़ी थी तो क्यों काम शुरू किया गया? उन्होंने कहा कि आखिर गड़बड़ी के बावजूद काम प्रारंभ करने की मंशा क्या थी?

इस संवाददाता सम्मेलन में भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष सह विधान पार्षद डॉ प्रमोद चंद्रवंशी, प्रदेश प्रवक्ता प्रेमरंजन पटेल, विवेकानंद पासवान , प्रदेश मीडिया प्रभारी राकेश सिंह, अशोक भट्ट, राजेश कुमार झा आदि उपस्थित थे।