बिहार के आशुतोष पांडेय के कानूनी चक्रव्यूह में पस्त हुए यूपी के माफिया और अपराधी, तीस हजार मामलों में अपराधियों को सजा...
आरा : बिहारी जहां रहते हैं, वहां अपनी माटी का झंडा बुलंद रखते हैं। इसीलिए कहा भी जाता है, एक बिहारी सौ पर भारी, लेकिन यूपी में एक बिहारी हजारों अपराधियों पर भारी वाली कहावत प्रचलित हो रही है। दरअसल, जिस उत्तर प्रदेश में एनकाउंटर को लेकर पुलिस को कटघरे में खड़ा किया जाता है, उसी प्रदेश में पुलिस ने कानून का इस्तेमाल कर पिछले तीन सालों में करीब 30 हजार मामलों में अपराधियों को सजा दिलाई है। प्रदेश की इस उपलब्धि के प्रमुख किरदार एक बिहारी है।
हम बात कर रहे हैं यूपी के एडीजी अभियोजन आशुतोष पांडेय की। जिन्होंने अभियोजन की दिशा में तेजी से कदम बढ़ाकर बड़े-बड़े अपराधियों के हौसलों को पस्त कर दिया है। प्रभावी अभियोजन का परिणाम है कि माफिया मुख्तार अंसारी व उसके भाई अफजल अंसारी एवं अतीक अहमद से लेकर कई अपराधियों को तेजी से सजा सुनिश्चित कराने में कामयाबी हासिल की है।
मूल रूप से भोजपुर जिले के आरा मुफस्सिल थाना के सलेमपुर निवासी आशुतोष पांडेय 1992 बैच के सीनियर आइपीएस अधिकारी हैं। जो वर्तमान में यूपी कैडर में कार्यरत हैं। एडीजी पांडेय के प्रयास से ही ई-अभियोजन पोर्टल में यूपी का प्रदर्शन राष्ट्रीय स्तर पर लगातार दूसरी बार अव्वल रहा है। इसके लिए गृह मंत्रालय ने उन्हें पुरस्कार एवं ट्राफी भी प्रदान की थी। यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 28 अगस्त वर्ष 2019 को अभियोजन की कमान एडीजी आशुतोष पांडेय को सौंपी थी।
तौर-तरीकों में बदलाव से बढ़ा सजा का दर ...
आशुतोष पांडेय बताते हैं कि अभियोजन को प्रभावी बनाने के लिए तीन स्तर पर यूपी में मानीटरिंग की जाती है। जिला स्तर पर जिलाधिकारी हर माह मुकदमों की मानीटरिंग करते हैं, न्यायालय से भी रिपोर्ट जारी होती है और उसके अनुसार थाना स्तर पर गवाही की प्रक्रिया सुनिश्चित कराई जाती है। सरकारी गवाही सुनिश्चित करने के लिए जिला स्तर पर व्हाट्सएप ग्रुप बनाए गए और विडियो कांफ्रेंसिंग जैसी सुविधाएं प्रदान की गई। इससे अभियोजन की स्थिति बेहतर हुई।
गांव से रहा है गहरा जुड़ाव...
आशुतोष पांडेय का पैतृक गांव सलेमपुर से गहरा जुड़ाव रहा है। वे समय-समय पर गांव आते है। गांव आने के बाद गंवई माहल में ढल जाते है। दिसंबर 2022 में भी गांव आए थे। लोग लखनऊ जाते है तो वे उनका स्वागत भी करते है।
आपको बता दे कि यूपी में पिछले तीन साल में जहां 184 बदमाश एनकाउंटर में मार गिराए गए। वहीं यूपी पुलिस का अभियोजन निदेशालय की पैरवी के चलते तीस हजार अपराधियों को न्यायालय से सजा हुई। अभियोजन निदेशालय की प्रभावी पैरवी के चलते देश और प्रदेश में कई मंचों पर सम्मानित किया गया।
अभियोजन निदेशालय ने बनाया रिकॉर्ड...
अभियोजन निदेशालय के आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2020 से 2022 तक पॉक्सो एक्ट में 4078, रेप के केस में 1218, क्राइम अगेंस्ट वूमेन एंड चिल्ड्रेन केस में 8646, हत्या के केस में 2387, दहेज हत्या के केस में 1152, लूट के केस में 1141, गोवंश हत्या के केस में 279 और आर्म्स एक्ट के केस में 10520 मामलों में सजा दिलायी गई है। इसके चलते अभियोजन निदेशालय की ओर से रिकॉर्ड स्तर पर अपराधियों को उनके किये की सजा दिलाने के लिए कई अवार्ड भी मिले हैं।
तीन सालों में शत-प्रतिशत गवाही कराने में बनाया रिकार्ड...
अभियोजन निदेशालय के एडीजी आशुतोष पांडेय ने बताया कि पिछले तीन साल में कोर्ट में प्रभावी पैरवी और शत-प्रतिशत गवाहों की गवाही कराकर अपराधियों को सजा दिलाने में सफलता पाई है। निदेशालय ने कोर्ट में प्रभावी पैरवी से 2020 में पॉक्सो के तहत जहां 535 मामलों में सजा दिलाई, वहीं 2022 में 2313 मामलों में सजा दिलाई गई। इसी तरह रेप के मामले में वर्ष 2020 में 177 मामलों में सजा दिलाई गई, तो वहीं वर्ष 2022 में 671 मामलों में सजा दिलाई गई। हत्या के केस में 2020 में 420 मामलों जबकि 2022 में 1180 मामलों में सजा दिलाई गई।
तीन वर्ष में आर्म्स एक्ट में सबसे अधिक दिलाई गई सजा...
एडीजी आशुतोष पांडेय ने बताया कि अभियोजन निदेशालय ने दहेज हत्या के केस में 2020 में 182 मामलों में और 2022 में 572 मामलों में सजा दिलाई। इसी तरह लूट के केस में वर्ष 2020 में 177 मामलों जबकि वर्ष 2022 में 745 मामलों में सजा दिलायी गई। गोवंश के मामले में जहां वर्ष 2020 में 29 मामलों तो वर्ष 2022 में 200 मामलों में सजा दिलायी गई। वहीं सबसे अधिक पिछले तीन वर्ष में सबसे अधिक आर्म्स एक्ट के मामलों में सजा दिलायी गई। आर्म्स एक्ट के मामले में वर्ष 2020 में 1960 मामलों जबकि वर्ष 2022 में 6373 मामलों में सजा दिलायी गई।
प्रभावी पैरवी पर मिले अभियोजन निदेशालय को कई अवार्ड...
अभियोजन निदेशालय को पूरे देश में कम समय में अपराधियों को सजा दिलाने, ई ऑफिस और ई प्रॉसीक्यूशन पोर्टल पर देश में अच्छा प्रदर्शन करने पर अवार्ड, प्रमाण पत्र से सम्मानित किया गया है। अभियोजन निदेशालय के एडीजी आशुतोष पांडेय ने बताया कि वर्ष 2021 में भारत सरकार के गृह मंत्रालय ने आईसीजेएस सिस्टम के तहत नेशनल क्राइम रिपोर्ट ब्यूरो की ओर से देश में उत्तर प्रदेश को अभियोजन कार्य के लिए अवार्ड दिया था। यह अवार्ड वर्ष 2022 में भी उत्तर प्रदेश के अभियोजन निदेशालय को दिया गया। इसी तरह ई प्रॉसीक्यूशन के लिए वर्ष 2022 में स्कॉच अवार्ड से सम्मानित किया गया।