रत्नेश सदा ने ली मंत्री पद की शपथ --बने मंत्री .. जानिए उनके जीवन से जुड़ी सारी कहानी ?

रत्नेश सदा ने ली मंत्री पद की शपथ --बने मंत्री .. जानिए उनके जीवन से जुड़ी सारी कहानी ?
रत्नेश सदा ने ली मंत्री पद की शपथ --बने मंत्री .. जानिए उनके जीवन से जुड़ी सारी कहानी ?

PATNA NBL :  जदयू विधायक रत्नेश सदा ने शुक्रवार को मंत्री पद की शपथ ली. राजभवन के दरबार हॉल में राज्यपाल राजेन्द्र विश्वनाथ अर्लेकर ने रत्नेश सदा को पद एवं गोपनीयता की शपथ ली. रत्नेश सदा सहरसा जिले के सोनबरसा से जदयू के विधायक हैं. वे 2010 से यहां से चुनाव जीतते आ रहे हैं. मुसहर समाज से आने वाले रत्नेश सदा को नीतीश मंत्रिमंडल में शामिल करने के पीछे हालिया राजनीतिक घटनाक्रमों को माना जा रहा है. पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी ने दो दिन पहले ही नीतीश सरकार में शामिल अपने बेटे डॉ संतोष सुमन का मंत्री पद से इस्तीफा दिलाया था. 

रत्नेश सदा का जीवन काफी संघर्षशील रहा है. वे कठिन परिश्रम से यहां तक के सियासी सफर में पहंचे हैं. संस्कृत से ग्रेजुएट रत्नेश के बारे में कहा जाता है कि पिता लक्ष्मी सदा मजदूर थे. बाद में कुछ समय तक रत्नेश ने भी रिक्शा खिंचा था. आगे चलकर वे सियासी गाड़ी में सवार हो गए . करीब 30 वर्षों के सार्वजनिक जीवन में अलग अलग राजनीतिक कार्यों को करते रहे. वे जदयू में उपाध्यक्ष, प्रदेश महासचिव सह सुपौल जिला संगठन प्रभारी समेत अन्य पदों पर भी रह चुके हैं.

हालांकि वे पहली बार वर्ष 2010 में विधायक बने. तब से लगातार तीसरी बार रत्नेश विधायक बन चुके हैं. 49 वर्षीय रत्नेश मुसहर समुदाय से आते हैं. उनका सहरसा के इलाके में जोरदार पकड़ माना जाता है. वर्ष 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में दिए हलफनामे के अनुसार उनकी कुल चल एवं अचल संपत्ति 1.30 करोड़ है. किसी तरह का कोई आपराधिक मुकदमा नहीं है. उनके तीन पुत्र और दो पुत्री हैं. वे सहरसा जिले के कहरा कुट्टी वार्ड नं-6 के रहने वाले हैं.

रत्नेश सदा की पहचान दलित समुदाय और विशेषकर मुसहर समाज में प्रगतिशीलता के द्योतक के रूप में रही है. वे कबीरपंथ को मानने वाले है. कहा जाता है कि सामाजिक चेतना और उत्थान को लेकर रत्नेश अपने समाज के बीच एक वक्ता के रूप में भी पहचान रखते हैं. बिहार की सियासत के जानकारों का मानना है कि जीतन राम मांझी से ज्यादा जनाधार रत्नेश सदा का है. इसलिए नीतीश कुमार ने एक बड़ी रणनीति के तहत रत्नेश को मंत्री बनाया है. इससे एक ओर वे मुसहर समाज को हितैषी होने का संदेश देंगे तो दूसरी ओर इसी बहाने जीतन राम मांझी को भी जवाब होगा कि मुसहर समाज का उनसे बड़ा नेता रत्नेश हैं. उन्हें अब नीतीश कुमार एससी-एसटी कल्याण मंत्री बना सकते हैं.