सीएम नीतीश ने दशरथ मांझी को किया जेडीयू मे शामिल ---मंत्री रत्नेश सदा भी रहे मौजूद .. क्या है रणनीति ?

सीएम नीतीश ने दशरथ मांझी को किया जेडीयू मे शामिल ---मंत्री रत्नेश सदा भी रहे मौजूद .. क्या है रणनीति ?
सीएम नीतीश ने दशरथ मांझी को किया जेडीयू मे शामिल ---मंत्री रत्नेश सदा भी रहे मौजूद .. क्या है रणनीति ?

 जीतनराम मांझी ने सीएम नीतीश का साथ छोड़ दिया है. पूर्व सीएम 'मांझी' अपने समाज यानि मुशहरों के सबसे नेता माने जाते हैं. कई लोकसभा क्षेत्र में इस समाज की बड़ी आबादी है. मांझी का साथ छोड़ने से सीएम नीतीश खौफ में हैं. खौफ इसलिए भी क्यों कि, पहले से ही शराबबंदी को लेकर यह वर्ग काफी नाराज है. दूसरा यह कि जीतन राम मांझी ने साथ छोड़ दिया है. लोकसभा का चुनाव सामने हैं. लिहाजा जेडीयू डैमेज कंट्रोल की कोशिश कर रही है. जीतन राम मांझी के बेटे संतोष सुमन के इस्तीफे से खाली मंत्री पद पर मुशहर समाज से आने वाले रत्नेश सदा को मंत्री बनाया. लगे हाथ 'मांझी' के क्षेत्र मगध से आने वाले और पर्वत पुरूष के नाम से जाने जाने वाले दशरथ मांझी के बेटे भागीरथ मांझी को दल में शामिल करा लिया. 

जेडीयू प्रदेश कार्यालय में आयोजित मिलन समारोह में जेडीयू के प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा के अलावे पूर्व अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह, नव नियुक्त मंत्री रत्नेश सदा, मंत्री विजय चौधरी, अशोक चौधरी समेत अन्य नेता शामिल हुए। इस दौरान दशरथ मांझी के परिवार के सदस्यों को जेडीयू में शामिल कराया गया. मंच से यह मैसेज देने की कोशिश की गई कि मुशहरों के वास्तविक नेता दशरथ मांझी थे. परिवार के सदस्य भागीरथ मांझी हैं. जीतन राम मांझी पर हमला बोलते हुए जेडीयू नेताओं ने कहा कि वे इस समाज के नेता नहीं हैं. मुशहर समाज के लिए जीतन मांझी ने नहीं बल्कि सीएम नीतीश कुमार ने काम किया है. दशरथ मांझी को अगर किसी ने सम्मान दिया उस शख्स का नाम है नीतीश कुमार. जेडीयू में शामिल होने के बाद भागीरथ मांझी ने कहा कि हमारे पिता दशरथ मांझी को मुख्यमंत्री ने काफी मान सम्मान दिया. हमारे समाज के लिए जो भी काम किया वह नीतीश कुमार ने किया है.

वहीं, नव नियुक्ति मंत्री रत्नेश सदा ने पूर्व सीएम जीतन राम मांझी पर हमला बोलते हुए कहा कि जिस व्यक्ति को नीतीश कुमार ने मंत्री से लेकर मुख्यमंत्री बनाया, वह व्यक्ति हमारे नेता को धोखा दिया. सिर्फ नीतीश कुमार को धोखा नहीं दिया, बल्कि हमारे समाज को धोखा दिया. उन्होंने समाज के लोगों को बातों में उलझा कर रखा. समाज के विकास का कोई काम नहीं किया.