बीजेपी ,जेडीयू में अंतर नहीं ----छोटी पार्टियों को विलय के लिए कोई दबाव नहीं बनाना चाहिए---दीपांकर भट्टाचार्य.. क्या है सियासी सरगर्मी ?
JDU के राष्ट्रीय अध्यक्ष द्वारा छोटी पार्टियों को दुकान कहे जाने और हम का जदयू में विलय कराने को कोशिश के बाद बिहार की सियासत गरमाई हुई है। जहां पूर्व सीएम जीतन राम मांझी खुलकर ललन सिंह की बात पर अपनी नाराजगी जाहिर कर चुके हैं। वहीं अब माले के राष्ट्रीय महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने भी छोटी पार्टियों को लेकर बड़ी बात कह दी है।
माले नेता ने कहा जदयू अध्यक्ष की बात को पूरी तरह से गलत ठहराते हुए कहा कि MEN विपक्ष में छोटी पार्टी और बड़ी पार्टी जैसा कोई सवाल नहीं होना चाहिए। हालांकि उन्होंने जीतन राम मांझी के महागठबंधन से अलग होने के फैसले पर निराशा जाहिर की। कहा कि उन्हें ऐसा नहीं करना चाहिए था, कुछ बात थी तो सबसे चर्चा करते।
उन्होंने जदयू की तुलना बीजेपी से करते हुए कहा कि यह दबाव तो बीजेपी लोकतंत्र को खत्म करने के लिए बना रही है। बीजेपी कहती है देश में सिर्फ एक पार्टी हो। जेपी नड्डा पटना आकर जदयू को धमकी देकर गए थे।
शिक्षकों को बीपीएससी परीक्षा देने के लिए जबरन दबाव देने के फैसले को गलत ठहराते हुए उन्होंने कहा कि हमारी पार्टी शिक्षकों के साथ है। लेकिन हमारी बात नहीं मानी जा रही है। यह अलग बात है। सही बात नहीं मानेंगे तो सीएम नीतीश कुमार को भुगतना पड़ेगा। हम तो शिक्षकों और गरीबों का मुद्दा उठाते रहेंगे।
हमने इसकी पहल माले के राष्ट्रीय अधिवेशन में किया था। अधिवेशन में एक सत्र विपक्षी एकता को लेकर था। इस अधिवेशन में सीएम नीतीश कुमार, डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव, कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद शामिल हुए थे। वहीं से एक सिलसिला शुरू हुआ। मुझे लगता है कि 23 जून को होने वाली यह पहली बैठक होगी, जिसमें आम आदमी पार्टी, कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, सभी लेफ्ट पार्टियां, राजद, सपा, जेएमएम, डीएमके, शिवसेना, एनसीपी जैसी पार्टियों के नेता एक साथ बैठेंगे।