आरा : माले ने तैयार किया 'रनर से विनर' बनने का फॉर्म्युला, जानें हैट्रिक लगाने के लिए NDA का प्लान...
आरा : आरा लोकसभा चुनाव अपने कई कारणों से महत्वपूर्ण होने जा रहा है। भाजपा के उम्मीदवार की चुनौती यह होगी कि कैसे लगातार अपने प्रतिद्वंदी को लगातार तीन बार परास्त कर जीत का हैट्रिक बनाए। वहीं भाकपा माले के सामने चुनौती यह है कि हार के दस्तक को जीत में कैसे तब्दील करें। पिछले चुनाव में रनर रहे भाकपा माले इस बार उम्मीदवार बदल कर विनर बनने के युद्ध में शामिल हो गई है।
भाजपा उम्मीदवार आरके सिंह आरा से लगातार दो बार लोकसभा चुनाव जीत चुके हैं। भारतीय प्रशासनिक सेवा से अवकाश प्राप्त करने के बाद भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व ने इन्हें पहली बार आरा लोकसभा से आजमाया। पहली बार ही अपने व्यक्तित्व और भाजपा के कैडर के बल पर राजद के उम्मीदवार भगवान सिंह कुशवाहा को एक लाख से ज्यादा मतों के अंतर से हराया। दूसरी वार भाजपा केंद्रीय नेतृत्व ने फिर आरके सिंह पर भरोसा किया और वे एक बार फिर जीत की दस्तक के साथ दूसरी बार लोकसभा पहुंचे। इस बार उन्होंने भाकपा माले के उम्मीदवार राजू यादव को भी एक लाख से ज्यादा मतों से हराया।
बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व ने इन पर भरोसा किया और केंद्र में मंत्री भी बनाया। आरके सिंह ने अपने इस कार्यकाल के दौरान कई मंत्रालय संभाले। भाजपा के इनर सर्वे में आरके सिंह पास हुए, जिसके बाद पार्टी नेतृत्व ने इन्हें आरा लोकसभा से तीसरी बार जीत का हैट्रिक बनाने को उतारा है। इस बार राम मंदिर, मोदी की गारंटी और अपने कार्यकाल में आरा लोकसभा क्षत्र में किए गए कार्यों का भरोसा है।
भाकपा माले के प्रत्याशी तरारी विधान सभा क्षेत्र से विधायक हैं। माले के काफी सक्रिय सदस्य है और पार्टी में पदाधिकारी की भूमिका में भी रहे है। इन्हें गत लोकसभा चुनाव वर्ष 2019 का अनुभव भी है। तब राजू यादव उम्मीदवार थे। इन्हें 4,19, 195 मत मिला था। राजू यादव ने माले के लिए एक बड़ी लकीर खींची थी। अब सुदामा प्रसाद को उस से भी बड़ी लकीर खींचनी है। इस बार ये इंडिया गठबंधन के उम्मीदवार हैं। इनके साथ वाम दल के अलावा राजद और कांग्रेस के भी कैडर का सहयोग मिलेगा।
आरा लोकसभा के अंदर सात विधान सभा क्षेत्र आते हैं। इनमे संदेश, बड़हरा, आरा, अगियांव, तरारी, जगदीशपुर और शाहपुर विधान सभा क्षेत्र आता है। इन सात विधान सभा सीटों में तीन राष्ट्रीय जनता दल के पास, दो भाजपा के पास और दो भाकपा माले के नाम है। यानी 5 विधानसभा क्षेत्र इंडिया गठबंधन के पास और दो विधान सभा एनडीए गठबंधन के पास है।
राष्ट्रीय जनता दल के किरण यादव संदेश से विधायक हैं। जगदीशपुर विधान सभा से राजद के राम विष्णु सिंह के पास है। शाहपुर से राहुल तिवारी राजद के विधायक हैं। अंगियाव से माले के मनोज मंजिल विधायक थे। तरारी से स्वयं लोकसभा के उम्मीदवार सुदामा प्रसाद विधायक हैं। दूसरी तरफ एनडीए के हिस्से में दो विधान सभा सीटें हैं। बड़हरा से राघवेंद्र प्रताप,और आरा विधान सभा से अमरेंद्र प्रताप सिंह विधायक हैं।
भाजपा इस बार राम लहर पर सवार तो है ही। साथ इसके लोक लुभावन केंद्रीय योजना को भी भाजपाई मुद्दा बनाएंगे। सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास के स्लोगन का साथ तो है ही। इसके साथ साथ सांसद आरके सिंह मंत्री रहते आरा के लिए क्या किया है वह भी मैटर करेगा। माले के पास महंगाई एक बड़ा मुद्दा है। संविधान खतरे में है, यह मुद्दा भी उठाएंगे। तेजस्वी के 17 माह बनाम 17 साल सबसे बड़ा मुद्दा है। अब आरा के मतदाता किस से ज्यादा कन्विंस होते हैं, वह तो चुनाव परिणाम ही बताएगा।
आपको बता दे की आरा संसदीय क्षेत्र में सातवें चरण में एक जून को मतदान होना है। चार जून को चुनावी नतीजा आयेगा। तब पता चलेगा कि आरा में बलिराम भगत के बाद जीत की हैट्रिक लगाने वाले आरके सिंह दूसरे राजनेता होंगे या उनकी जीत का घोड़ा रोक सुदामा प्रसाद पहली बार संसद पहुंचेंगे और बिहार से भाकपा माले का साढ़े तीन दशक का संसद में पहुंचने का सूखा खत्म करेंगे। बता दें कि 1989 के चुनाव में यहां पहली बार इंडियन पीपुल्स फ्रंट (आईपीएफ) ने जीत दर्ज की थी। इसके बाद से भाकपा माले प्रयासरत है। 2004 और 2019 में माले दूसरे स्थान पर रहा पर जीत नसीब नहीं हो सकी है।