जदयू की चिंता छोड़कर अपने भविष्य की चिंता करें आरसीपी...
पटना : बिहार जदयू के प्रदेश अध्यक्ष उमेश सिंह कुशवाहा ने भाजपा के नये नेता आरसीपी सिंह के बयान पर पलटवार करते हुए कहा कि जदयू की चिंता करने के बजाए उन्हें अपने राजनीतिक भविष्य की चिंता करनी चाहिए। भाजपा के लिये सबसे दुखद बात तो यह है कि भाजपा में इनके पैर देते ही कर्नाटक चुनाव में भाजपा बुरी तरह से पिट गयी। माननीय मुख्यमंत्री के नेतृत्व में लाखों ईमानदार कार्यकर्ताओं के बदौलत एवं बिहार के करोड़ों जनता के आशीर्वाद से हमारी पार्टी पूरी तरह से मजबूत और एकजुट है।
प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि आरसीपी सिंह अपने राजनीतिक अस्तित्व को बचाने के लिए इधर-उधर हाथ मार रहें हैं। बिहार के मौजूदा राजनीतिक परिवेश में उनकी स्थिति बेहद दयनीय बन चुकी है। वो राजनीतिक तौर पर अप्रासंगिक हो गए है। किसी भी राजनीतिक दल के लिए आरसीपी सिंह की उपस्थिति या अनुपस्थिति का कोई मतलब नही है।
आगे उन्होंने कहा कि आरसीपी सिंह पिछले कई महीनों से भाजपा की सदस्यता लेने के लिए दिल्ली भाजपा मुख्यालय की परिक्रमा लगा रहें थें। लेकिन दिल्ली में इनको कोई पूछ नहीं रहा था। हाथ पैर जोड़ने के बाद अंत में जब इन्हें भाजपा में लेने की सहमति बनी तो बदकिस्मती देखिए कि सदस्य्ता ग्रहण समारोह में न पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौजूद थे और न ही बिहार के प्रभारी।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के कृपादृष्टि से आरसीपी सिंह ने देश और प्रदेश में अपनी राजनीतिक पहचान बनाई। हमारे नेता ने उन्हें राष्ट्रीय महासचिव एवं राष्ट्रीय अध्यक्ष जैसे महत्वपूर्ण पद की जिम्मेदारी सौंपी। फिर उन्हें राज्यसभा भेजा गया और दिल्ली जाने के बाद भाजपा के बहकावे में आकर वो केंद्रीय मंत्री बन गए। व्यक्तिगत महत्वकांक्षा के लिए उन्होंने नैतिकता एवं पार्टी के संविधान को कलंकित करने का काम किया। इनके समय में पार्टी के निष्ठावान कार्यकत्र्ता अपने आप को उपेक्षित महसूस कर रहे थे।
जो इनके जाने के बाद अपने पुराने जोश के साथ पार्टी को मजबूती प्रदान करने में लगे हुये है। उनके साथ जाने वाले लोग पार्टी के निष्ठावान कार्यकत्र्ता कभी नही रहे। आज जो लोग उन्हें पार्टी में स्वागत कर रहे थे, जदयू में रहते इनके सामने उनकी क्या हैसियत थी। इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि वे जहां गये है वहां इनको किस स्तर पर रखा गया है।