माले की दावेदारी आरा, सीवान, जहानाबाद में क्यों? विधानसभा चुनाव में कांग्रेस से बेहतर परफॉर्म किया था, आरजेडी को भी कैडर वोट का फायदा मिला था...

माले की दावेदारी आरा, सीवान, जहानाबाद में क्यों? विधानसभा चुनाव में कांग्रेस से बेहतर परफॉर्म किया था, आरजेडी को भी कैडर वोट का फायदा मिला था...

आरा : कांग्रेस और आरजेडी की दिल्ली में हुई बैठक के बाद I.N.D.I.A गठबंधन के अंदर सीट शेयरिंग पर बातचीत फाइनल होने की तरफ बढ़ रही है। अब अगली बैठक जेडीयू के साथ होनी है। कांग्रेस पिछली बार 9 सीट पर लड़ी थी।

इस बार भी उससे कम सीट पर नहीं लड़ना चाहती। कांग्रेस ने आरजेडी के सामने अपनी दावेदारी रख दी है। लेकिन, कहा यह भी जा रहा है कि कांग्रेस को पांच या उससे कम सीटें ही मिल पाएंगी। अगर आरजेडी और जेडीयू 17-17 सीटें अपने पास रखती हैं तो बच जाती हैं छह सीटें। छह सीटों में कांग्रेस को और लेफ्ट को सीटें मिलनी हैं।

माले की दावेदारी आरा और सीवान सीट पर ज्यादा है। हालांकि जहानाबाद, काराकाट सीट पर भी पार्टी की नजर है। सीपीआई की दावेदारी बेगूसराय सीट पर भी है। हालांकि बेगूसराय सीट पर आरजेडी की जिद अभी तक कायम है। सीवान में जेडीयू की कविता सिंह को 2019 में 448473 वोट मिले थे जबकि आरजेडी की हिना साहिब को 331515 वोट। आरा सीट पर बीजेपी के आरके सिंह ने 566480 वोट लाया था जबकि माले के राजू यादव ने 419195 वोट हासिल किया था। बेगूसराय सीट पर गौर करें तो यहां बीजेपी के गिरिराज सिंह ने 692193 वोट हासिल किया था जबकि सीपीआई के युवा नेता कन्हैया कुमार को 269976 वोट मिले थे। इस सीट से आरजेडी नेता तनवीर हसन को 198233 वोट हासिल हुए थे।

जेडीयू सांसद कविता सिंह की दावेदारी सीवान से मजबूत है। हालांकि जानकारी है कि उनके पति अजय सिंह का झुकाव इन दिनों बीजेपी की तरफ दिख रहा है! 2021 में बाहुबली नेता शहाबुद्दीन की मौत के बाद इसकी चर्चा तेज रही कि हिना साहिब को लालू प्रसाद राज्य सभा भेज सकते हैं लेकिन ऐसा नहीं हुआ। हिना साहिब को इस बार टिकट मिलेगा कि नहीं इस पर संशय बरकरार है। मुस्लिम वोट बैंक को मजबूत करने के लिए आरजेडी कोई भी कदम उठा सकती है। हिना साहिब वहां से तीन बार चुनाव हार चुकी हैं।

सीवान सीट की मांग माले की हमेशा से रही है। सीवान के दरौली से सत्यदेव राम और जीरादेई से अमरजीत कुशवाहा यानी माले के दो विधायक इस संसदीय क्षेत्र से हैं। 98 से माले वहां लड़ती रही है। पिछली बार माले से अमरनाथ यादव लड़े थे। तीसरे नंबर पर वहां माले रही थी। अमरनाथ यादव दरौली से विधायक रह चुके हैं। यह कहा जाता रहा है कि माले को रोकने के लिए ही शहाबुद्दीन को खड़ा किया गया था ! सामंती ताकतों के खिलाफ माले की लड़ाई का लंबा इतिहास यहां रहा।

आरा लोकसभा सीट पर माले की दावेदारी इसलिए बड़ी मानी जा रही है कि यह नक्सलबाड़ी का बड़ा इलाका रहा है बिहार में। पिछली बार यहां से माले दूसरे नंबर पर रही थी। भोजपुर के तरारी से सुदामा प्रसाद और अगिआंव से मनोज मंजिल माले के विधायक हैं। माले के राज्य सचिव कुणाल कहते हैं कि आरा में हमारे दो विधायक हैं। पाटलिपुत्रा लोकसभा क्षेत्र के पालिगंज में संदीप सौरभ और फुलवारी में गोपाल रविवास माले के विधायक हैं।

जहानाबाद के घोसी में रामबली सिंह यादव और अरवल में महानंद प्रसाद सिंह माले के विधायक हैं। वे यह भी कहते हैं कि पिछली बार जिन लोकसभा क्षेत्रों में आरजेडी को ज्यादा वोट मिले। वहां माले की उपस्थिति मजबूत थी। कटिहार, पाटलिपुत्रा, अररिया में माले का ही ज्यादा वोट आरजेडी को मिला। सीटों को लेकर आरजेडी सुप्रीमो और आरजेडी के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह की माले नेताओं से मुलाकात हो चुकी है। जल्द ही तेजस्वी यादव से भी बातचीत होनी है।

माले की खास बात यह है कि 19 विधानसभा क्षेत्र से विधानसभा चुनाव लड़ी और 12 पर जीती थी। यह परफॉर्मेंस कांग्रेस के विधानसभा चुनाव में परफॉर्मेंस से काफी बेहतर था। तब यह कहा गया था कि कांग्रेस को इतनी सीटें देने के बजाय माले को कुछ और सीटें दी जातीं तो तेजस्वी मुख्यमंत्री हो जाते। माले पोलित ब्यूरो के सदस्य धीरेन्द्र झा इन दिनों सीवान में कैंप किए हुए हैं। लोकसभा चुनाव को देखते हुए संगठन को और ताकतवर बनाने में लगे हैं।