काँग्रेस के चेतावनी के बाद ,बीमार का बहाना बना तमिलनाडु नहीं गए नीतीश -बीजेपी .. क्या है सियासी सरगर्मी ?
विपक्षी एकता के अगुआ बने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने तमिननाडु के सीएम एमके स्टालिन से मुलाकात कर बैठक में शामिल होने का निमंत्रण नहीं दे सके. ऐन वक्त पर उन्होंने तमिननाडु जाने का कार्यक्रम रद्द कर दिया. आज ही सीएम नीतीश कुमार को तमिलनाडु जाना था. अब डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव और मंत्री संजय झा चेन्नई गए। सीएम नीतीश कुमार के प्लान में बदलाव के पीछे की वजह भी सामने आई है वो यह कि स्वास्थ्य की वजह से दौरा रद्द किया है. हालांकि बिहार बीजेपी को इसमें संदेह पैदा हो रहा. भाजपा को लगता है कि नीतीश कुमार जब तबीयत खराब होने की बात करते हैं तो इसके पीछे कुछ खास वजह होती है.
भाजपा ओबीसी मोर्चा के राष्ट्रीय महामंत्री और बिहार भाजपा प्रवक्ता डॉ० निखिल आनंद ने कहा कि सीएम नीतीश जी के अचानक बीमार होने का समय गंभीर संदेह पैदा करता है. विपक्षी एकता के नाम पर उनके द्वारा किए जा रहे स्वयंभू राजनीति और दुस्साहस पर कांग्रेस पार्टी ने उन्हें जरूर चेतावनी दे दी है. जिससे परेशान होकर वे बीमार पड़ गए है या फिर बीमारी का बहाना बना लिया होगा। यह बात इसलिए भी साबित होती है कि जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने पार्टी कार्यकर्ताओं को हाल ही में सार्वजनिक रूप से नीतीश के पीएम बनने का नारा नहीं लगाने की सख्त चेतावनी देते हुए कहा था कि ऐसा करने से विपक्षी एकता को नुकसान या झटका लगेगा।
भाजपा प्रवक्ता निखिल आनंद ने कहा कि यह बात इसलिए भी उठती है कि अक्सर नीतीश कुमार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह द्वारा बुलाये गए राष्ट्रीय या राज्य के महत्व के कार्यक्रमों में भाग लेने से बचने के लिए नकली बीमारी या व्यस्त कार्यक्रम का बहाना बनाते रहे हैं। यह बात जगजाहिर है कि नीतीश जी हमेशा पीएम नरेंद्र मोदी जी या हमारे गृहमंत्री अमित शाह के आमने-सामने होने से बचते रहे हैं। निखिल ने मनोवैज्ञानिक विश्लेषण करते हुए बताया कि खुद को बेबस या कमजोर चरित्र के रूप में पेश कर सहानुभूति बटोरने की कोशिश करना नीतीश जी की राजनीतिक शैली में से एक है। नीतीशजी के निजी या नजदीकी दोस्त भी उनके आकस्मिक झटका देने के अगले कदम की भविष्यवाणी नहीं कर सकता है। अपने कई यू-टर्न के साथ-साथ राजनीतिक विश्वसनीयता और समर्थन खो देने के बावजूद भी नीतीश जी कभी बीजेपी के कंधे पर बैठकर या फिर राजद की गोद में बैठकर बिहार के सीएम बन रहे हैं। नीतीश जी के राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों से ज्यादा उनके राजनीतिक मित्रों को उनकी अप्रत्याशित कदम या चाल से बहुत सतर्क एवं चिंतित रहना चाहिए
निखिल आनंद ने आगे कहा कि हकीकत यह है कि नीतीश कुमार कांग्रेस, राजद और तथाकथित महागठबंधन के कुछ अन्य घटकों के बीच बुरी तरह फंस गए हैं। इन दिनों सीएम नीतीश जो कुछ कह और कर रहे हैं, उसमें उनकी राजनीतिक हताशा और घबराहट साफ दिखाई दे रही है। असली सवाल तो यह है कि आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद की गोद में बैठा शख्स दिन में पीएम बनने का सपना कैसे देख सकता है। विपक्षी एकता देश भर के मेंढकों को जुटाकर राजनीतिक वजन तौलने का एक प्रयास मात्र है।