बगैर कसूर FIR में नाम डाल दे तो डरें मत, पुलिस मुख्यालय ने जारी किया यह फरमान...

बगैर कसूर FIR में नाम डाल दे तो डरें मत, पुलिस मुख्यालय ने जारी किया यह फरमान...

पटना : आपराधिक घटनाओं के आवेदन में सिर्फ नाम रहने पर ही संबंधित व्यक्ति को नामजद अभियुक्तों की श्रेणी में नहीं डाला जाएगा। वैसे व्यक्तियों को ही प्राथमिकी प्रपत्र में ज्ञात अभियुक्तों के तौर पर रखा जाएगा, जिनपर घटना में शामिल होने का प्रत्यक्ष आरोप है। संदेह जताए जाने या दावे की सूरत में संबंधित शख्स को ज्ञात अभियुक्त की श्रेणी में शामिल नहीं किया जा सकता है। इस संबंध में डीजीपी आरएस भट्टी ने पुलिस मैनुअल का उल्लेख करते हुए पुलिस अधिकारियों को निर्देश जारी किया है। साथ ही सभी रेंज आईजी-डीआईजी को इसका पालन सुनिश्चित करने का टॉस्क सौंपा है।

संदिग्ध की श्रेणी में रखे जाएंगे ऐसे व्यक्ति यदि आवेदन में किसी का नाम है लेकिन उसपर युक्तिसंगत साक्ष्य सहित आरोप या उसकी भूमिका का उल्लेख नहीं है तो ऐसे व्यक्ति को एफआईआर भरते समय संदिग्ध की श्रेणी में ही रखना है। ऐसे व्यक्ति के नाम के साथ कोष्ठक में संदिग्ध निश्चित रूप से लिखें। डीजीपी द्वारा जारी दिशा-निर्देश में स्पष्ट तौर पर कहा है कि थानेदार एफआईआर दर्ज करते समय ज्ञात और संदिग्ध के भेद को सही ढंग से समझ लें। उसी के अनुसार एफआईआर दर्ज करने की प्रक्रिया की जाए। आवेदन में जिसकी स्पष्ट भूमिका लिखी है, उसका नाम ही प्राथमिकी प्रपत्र के कॉलम - 07 में ज्ञात अभियुक्तों की श्रेणी में दर्ज करें। सिर्फ संदेह और दावा के आधार पर किसी का नाम इस कॉलम में दर्ज नहीं किया जाए ।

दो शर्तों का पालन जरूरी...

1. एफआईआर में ज्ञात, अज्ञात और संदिग्ध का विवरण या भूमिका मात्र प्रथम सूचना है। अनुसंधान के दौरान घटना में शामिल अभियुक्तों की भूमिका को लेकर नियम के तहत साक्ष्य जुटाया जाएं। इसमें प्रत्यक्ष, मौखिक साक्ष्य, वैज्ञानिक साक्ष्य और दस्तावेजों की जांच-पड़ताल करना है।

2. द्वितीय साक्ष्य के रूप में घटना के दिन अभियुक्तों की गतिविधि का सत्यापन, परिस्थिति जन्य साक्ष्य का विश्लेषण इकट्ठा करना, पहचान परेड की कार्रवाई और अपराध शैली की पहचान करने का निर्देश दिया गया है। अनुसंधान में आए साक्ष्य के आधार पर ही ज्ञात, अज्ञात या संदिग्ध को अभियुक् बनाने पर निर्णय लिया जाए।