फर्जी दस्तावेज व फेक आइडी पर बनाए जा रहे हथियार के लाइसेंस, नहीं कर रहे कानून का पालन...

फर्जी दस्तावेज व फेक आइडी पर बनाए जा रहे हथियार के लाइसेंस, नहीं कर रहे कानून का पालन...

आरा : भोजपुर जिले में नगालैंड से फर्जी दस्तावेज फेक आइडी पर भी हथियारों के लाइसेंस बनवा लिए गए हैं। इन हथियारों को लेकर संदिग्ध आचरण वाले घूम भी रहे हैं। गृह विभाग ने पूरे देश में मान्य लाइसेंस के लिए एक ही मापदंड रखा है।

फिर भी नगालैंड से लाइसेंस प्राप्त करने वालों को बिना किसी स्थायी पता व जांच के ही आल इंडिया लाइसेंस दे दिया गया है। नियमानुसार अस्थायी एवं स्थायी दोनों पते की जांच जरूरी है। जिले के बालू माफिया से लेकर बाहुबली सफेदपोशों के करीबियों ने भी आर्म्स लाइसेंस बनवाए हैं।

दैनिक जागरण के खबर के अनुसार किसी ने सात तो किसी ने 27 लाइसेंस बनवाकर मंहगे अत्याधुनिक हथियार खरीदे हैं। ऐसे में प्रदेश के गृह विभाग द्वारा बाहरी राज्यों से निर्गत लाइसेंसी हथियारों को 15 फरवरी तक थाने या लाइसेंसी आर्म्स दुकान में जमा कराए जाने के आदेश के बाद खलबली मच गई है। पुलिस ने ऐसे शस्त्रधारकों को चिह्नित करना शुरू कर दिया है।

जानकार सूत्र बताते हैं कि जिले में दूसरे राज्यों से लगभग दो हजार लाइसेंस बनवाए गए हैं। इस मामले में 10 मई 2022 को आरा के नवादा थाना में पुलिस की ओर से एक प्राथमिकी हुई थी। जिसमें 20 लोगों को आरोपित किया गया था। प्राथमिकी में गलत दस्तावेज एवं दस्तावेज में हेराफेरी कर नगालैंड के पदाधिकारियों को गुमराह कर शस्त्र का लाइसेंस लिए जाने का गंभीर आरोप लगाया गया था।

नगालैंड से जारी आर्म्स लाइसेंस में सबसे बड़ी खामी बिना चरित्र एवं आवास सत्यापन के ही स्थानीय पते पर अनुज्ञप्ति दे देना है। इसका लाभ उठा कर भोजपुर में कभी कुख्यात रहे अपराधी भी नगालैंड के लाइसेंस पर खरीदे गए हथियार लेकर घूम रहे हैं।

विभागीय जानकार शस्त्र नियमावली के तहत इसे सरासर गलत व खतरनाक मान रहे हैं। पुलिस के अनुसार हर लाइसेंस धारक के स्थानीय पता व चरित्र का सत्यापन कराया जाता है। एक से अधिक राज्यों के लिए लाइसेंस निर्गत किए जाने पर गृह विभाग से उसका अनुमोदन भी जरूरी होता है।

नवादा थाना में हुई प्राथमिकी में यह भी आरोप था कि आरोपितों को शस्त्र अनुज्ञप्ति एवं शस्त्र का भौतिक सत्यापन नहीं कराने को लेकर नोटिस दी गई थी। फिर भी निर्देशों की अवहेलना कर थाने में अनुज्ञप्ति एवं शस्त्र नहीं दिखाए गए। शस्त्र छिपाकर गैर कानूनी कार्य किए जाने के भी संगीन आरोप लगाए गए थे। इसे शस्त्र नियमों का उल्लंघन बताया गया था।