शहीद जवान का पार्थिव शरीर पहुंचा गांव, पत्नी को जीवन भर की दे गए कसक; मां-बहनों का रो-रोकर बुरा हाल...

शहीद जवान का पार्थिव शरीर पहुंचा गांव, पत्नी को जीवन भर की दे गए कसक; मां-बहनों का रो-रोकर बुरा हाल...

आरा : भोजपुर जिले के चांदी थाना क्षेत्र के कुंजन टोला निवासी और सेना के जवान सुधीर ने शनिवार की सुबह ही पत्नी से फोन कर पूछा था...का हो, का समाचार बा..सब ठीक बा नु। इस दौरान उन्होंने मां पिताजी के तबीयत के बारे में भी पूछा और पत्नी से उनकी देखभाल सही तरीके से करने को कहा था।

दोनों बेटे सुशील उर्फ विशाल और अभिषेक कोचिंग के लिए निकले थे। इसलिए उनसे बात न हो सकी थी। दोपहर में 11 बजे के करीब पत्नी को फिर से फोन किया, लेकिन घर के काम में व्यस्तता की वजह से फोन रिसीव ही नहीं कर सकी। पत्नी जीवन भर इस ग्लानि में रहेंगी कि काश फोन उठा लिया होता।

दोपहर डेढ़ बजे के करीब साथी जवान ने फोन कर पति के बलिदान हो जाने की सूचना दी थी। शनिवार को सेना के एंबुलेंस के खाई में पलटने से दो जवानों की मौत हो गई थी। जम्मू-कश्मीर के राजौरी जिले के केरी सेक्टर में डांगी नाला के समीप सेना के एम्बुलेंस के गहरी खाईं में पलट जाने से बलिदान हुए भोजपुर के शहीद सुधीर का पार्थिव शरीर सोमवार की सुबह उनके पैतृक गांव चांदी थाना क्षेत्र के कुंजन टोला लाया गया।

तिरंगे में लिपटे पति का शव देख माता-पिता, पत्नी और तीनों बहनें फूट-फूटकर रोई। उनकी करुण चीत्कार से माहौल गमगीन हो गया। रिश्तेदार और आसपास के लोग परिवार को ढांढस बंधा रहे थे। इस दौरान एसपी प्रमोद कुमार एवं डीडीसी बिक्रम वीरकर समेत कई अफसरों ने पार्थिव शरीर पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि अर्पित की‌। दानापुर रेजिमेंट से आए जवानों ने अंतिम सलामी दी‌। बड़हरा के महुली गंगा घाट पर अंतिम संस्कार किया गया।बड़े पुत्र सुशील उर्फ विशाल ने मुखाग्नि दी गइ।

सोमवार की रात करीब नौ बजे की फ्लाइट से जवान सुधीर का शव पटना लाया गया। इसके बाद उनके पार्थिव शरीर को दानापुर रेजिमेंट सेंटर में रखा गया। सेना के जवानों और अधिकारियों द्वारा उन्हें अंतिम सलामी दी गई। सोमवार की अहले सुबह छह बजे उनका शव उनके पैतृक कुंजन टोला लाया‌।

मौत की सूचना मिलते ही घर मे हाहाकार मच गया था‌। अचानक रोने-पीटने की आवाज सुन आसपास के लोग उनके घर की ओर दौड़े तो उन्हें भी यह मनहूस खबर पता चली। इसके बाद उनके दरवाजे पर भीड़ बढ़ती गई थी। घटना की सूचना मिलते ही तीनों बहनें मुन्नी, पार्वती और विरदाकिरत रोते-बिलखते मायके पहुंची। बहनें बार बार एक ही बात रट रही थी कि अब हमनी के लियावे के जाइ हो भइया...केकरा हथवा प रखिया बांधम जा हो भइया। इधर, मां समाहुता देवी रोते-रोते अचेत हो जाती। पत्नी सुनीता के मुंह से बोल नहीं फुट रहे थे‌। उन्हें चांदी के एक निजी नर्सिंग होम में भर्ती कराया गया था।

छोटे भाई वीरबहादुर ने रोते हुए बताया कि परसो भइया से बात हुई थी ‌। घर-परिवार समेत खेती-बाड़ी की बात हुई थी। छोटे भाई के पास एक ट्रक है, जिसे वह चलवाते हैं। इन्हीं सब पारिवारिक समस्याओं पर लंबी बातचीत हुई थी। भईया ने कहा था कि ट्रांसफर हो गइल बा..अगिला हफ्ता ले छुट्टी मिली। आवतानी त बात होई। वीरबहादुर ने कहा कि भईया तो नहीं आए, लेकिन उनकी मौत की खबर आ गई। यह कहकर वह फफक पड़े। इधर, मौत की सूचना पाकर पिता रमणी सिंह यादव निःशब्द हो गए हैं। उनकी आंखों से भी आंसू नहीं थम पा रहे हैं।