सरदार पटेल स्टेडियम का नाम नरेंद्र मोदी स्टेडियम करना सबसे बड़ा अपमान : राजू दानवीर
हाजीपुर/ वैशाली : संपूर्ण भारत को एक सूत्र में पिरोने वाले देश के प्रथम गृह मंत्री लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल की जयंती समारोह का आयोजन सरदार पटेल सेवा सदन और पटेल सेना के द्वारा पटेल सेवा सदन कर्यालय में मनाया गया, जहां जन अधिकार युवा परिषद के प्रदेश अध्यक्ष राजू दानवीर राज्य के गणमान्य लोगों के साथ शामिल हुए इस दौरान उन्होंने अपने संबोधन में नरेंद्र मोदी की नेतृत्व वाली सरकार पर सरदार पटेल की स्मृतियों को विस्मृति करने का आरोप लगाया।
राजू दानवीर ने कहा कि सरदार पटेल का देश निर्माण में अभूतपूर्व योगदान रहा। लेकिन वर्तमान केंद्र की मोदी सरकार ने उनका हर कदम अपमान किया है, इसका जीता जागता उदाहरण गुजरात का नरेंद्र मोदी स्टेडियम है जो पहले सरदार पटेल स्टेडियम के नाम से जाना जाता था। अपनी सस्ती लोकप्रियता के लिए नरेंद्र मोदी सरकार ने सरदार पटेल स्टेडियम का नाम बदल दिया जो दुर्भाग्यपूर्ण है और यह साबित करता है कि नरेंद्र मोदी जी अपने नाम को चमकाने के लिए देश के महापुरुषों का भी सम्मान करना जरूरी नहीं समझते हैं।
अगर उन्हें स्टेडियम अपने नाम से करना ही था तो एक नया स्टेडियम बनवाकर कर सकते थे, लेकिन भाजपा की मोदी सरकार ने देश में कुछ बनवाना तो दूर बनी बनाई संस्थाओं के साथ खिलवाड़ कर उसे कमजोर या बर्बाद करने की कोशिश लगातार कर रहे हैं। उनके इस कृत्य की हम कड़ी शब्दों में निंदा करते हैं।
राजू दानवीर ने पहले सरदार पटेल की तस्वीर पर पुष्प अर्पित का श्रद्धांजलि दी और उन्हें याद करते हुए उनके सपनों के भारत को बनाए रखने के लिए संकल्प लिया। इसके बाद उन्होंने कहा कि भारत देश की जब भी बात होगी उसमें सरदार पटेल के योगदान को अलग नहीं किया जा सकेगा। लेकिन आज केंद्र की वर्तमान सरकार ने समय-समय पर एक और सरदार पटेल के नाम पर अपना उल्लू सीधा करने का षड्यंत्र रचा है और दूसरी और उन्हीं के इतिहास को धूमिल करने का भी कुत्सित प्रयास किया है।
मौजूदा सरकार भारत को जोड़ने में नहीं भारत को तोड़ने में विश्वास रखती है। यह हर बार देश के चुनावों के दौरान दिखता है जहां प्रधानमंत्री खुद भी नफरत बनते नजर आते हैं। जिस मणिपुर को सरदार पटेल ने बड़े जतन से भारत के साथ किया, आज वह मणिपुर जल रहा है। महीनों गुजर रहे गए लेकिन ना गृह मंत्री को उससे कोई फर्क पड़ा ना ही प्रधानमंत्री को। जलते मणिपुर के बीच में सभी जश्न मनाते नजर आए।
ऐसे में सवाल यह है कि क्या सरदार पटेल ने इस दिन के लिए मणिपुर को भारत से मिलाया था। वही हाल कश्मीर का है जिसे भ्रष्टाचार और आतंक के दलदल में पूर्ण रूप से धकेल दिया गया है। ऐसे कई उदाहरण है जहां मोदी सरकार कदम कदम पर सरदार पटेल के भारत में नफरत के बीज बोई जाती है।
दानवीर ने कहा कि सरदार वल्लभ भाई पटेल जी ने पूरे देश को एक सूत्र में पिरोने का काम किया। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद करीब पाँच सौ से भी ज्यादा देसी रियासतों का एकीकरण एक सबसे बड़ी समस्या थी। कुशल कूटनीति और जरूरत पड़ने पर सैन्य हस्तक्षेप के जरिए सरदार पटेल ने उन अधिकांश रियासतों को तिरंगे के तले लाने में सफलता प्राप्त की। चूंकि भारत के एकीकरन में सरदार पटेल का योगदान अत्यंत महत्वपूर्ण था ,इसलिए उन्हें भारत का लौह पुरूष कहा गया या भारत का बिस्मार्क की उपाधि से सम्मानित किया गया।
आज उनकी विरासत को बचाने का समय है, इसके लिए युवा पीढ़ियों को एक होने की जरूरत है और देश की एकता, अखंडता और संप्रभुता को बचाने के लिए संकल्प के साथ आगे आने की जरूरत है। इस दौरान पटेल सेवा सदन और पटेल सेना के सेकडों साथी मौजूद थे।