शिक्षा विभाग में हुए विवाद पर राज्य सरकार ने लगाया विराम .. क्या है रणनीति ?
NBL PATNA : राज्य के शिक्षा मंत्री प्रोफेसर चंद्रशेखर और विभाग के अपर मुख्य सचिव के के पाठक के बीच उठे विवाद के बीच सरकार ने बीते कल बड़ा फैसला लिया था। राज्य सरकार ने मंत्रियों के निजी सचिव यानी प्राइवेट सेक्रेटरी के अधिकार सीमित कर दिए। राज्य सरकार ने साफ तौर पर कहा कि वह संबंधित विभागों के कामकाज में किसी तरह का कोई हस्तक्षेप नहीं करेंगे। इसके बाद अब इस मामले में बिहार सरकार के शिक्षा मंत्री प्रो.चंद्रशेखर की पहली प्रतिक्रिया सामने आई है।
सूबे के शिक्षा मंत्री प्रोफेसर चंद्रशेखर ने कहा है कि - राज्य सरकार ने जो गाइडलाइन निकला है वह बेहतर और स्पष्ट है इससे पहले सरकारी और निजी सचिवों के कार्यों का दायरा स्पष्ट नहीं था। लेकिन अब जो नोटिफिकेशन जारी किया गया है उसमें बहुत हद तक सब कुछ स्पष्ट हो गया है।
वही, इस दौरान जबकि के पाठक के विवादों से जुड़ा सवाल उनसे किया गया तो प्रोफेसर चंद्रशेखर कन्नी काटते हुए नजर आए। इन सवालों के जवाब में चंद्रशेखर बस इतना ही कह सके कि लोग समझने के लिए कुछ भी समझ सकते हैं लेकिन सरकार ने दोनों सचिवों का कार्य परिभाषित किया है इससे विवाद होने वाली कोई बात नहीं है।
मालूम हो कि, बीते कल सरकार के मुख्य सचिव अमीर सुबहानी ने एक पत्र जारी कर कहा कि, आप्त सचिव किसी विभागीय अधिकारी के साथ विभागीय कार्य से संबंधित अपने स्तर पर मौखिक विमर्श, समीक्षा, दिशा निर्देश अथवा लिखित पत्राचार नहीं करेंगे। अपने पत्र में मुख्य सचिव आमिर सुबहानी ने लिखा है कि मंत्री के आप्त सचिव सरकारी एवं आप्त सचिव वाह्य के कार्यों के आवंटन से संबंधित स्पष्ट आदेश निर्गत नहीं हैं।
इसमें कहा गया है कि, सरकारी आप्त सचिव प्रशासनिक सेवाओं के पदाधिकारी होते हैं। उन्हें सरकारी नियमों, प्रक्रियाओं आदि की विस्तृत जानकारी एवं कार्यानुभव होता है। इसलिए यह निर्णय लिया गया है कि मंत्री के आप्त सचिव सरकारी के द्वारा सरकारी संचिकाओं से संबंधी कार्य, मंत्री के आदेशानुसार सरकार के पदाधिकारियों से पत्राचार संबंधी कार्य एवं मंत्री द्वारा सौंपे गये अन्य सरकारी काम करेंगे।