बिहार में सामाजिक परिवर्तन की वाहक बनी दो पहिये की साइकिल-नीतीश कुमार
NBL PATNA : मुख्यमंत्री बालिका साइकिल योजना शुरू हुई तो इसे सामाजिक परिवर्तन का पहिया माना गया. नारी सशक्तिकरण और जनसंख्या नियंत्रण रोकने का यह बड़ा जरिया बना लेकिन आज मुख्यमंत्री की इस महत्वकांक्षी साइकिल योजना का पहिया पंचर हो चुका है.
मुख्यमंत्री बालिका साइकिल योजना को शुरु करते समय जब मुख्यमंत्री ने नारी सशक्तिकरण के लिए उठाए जा रहे इस कदम की खूबियों का बखान किया तो मानो सूबे की बच्चियों के सपनों को पंख लग गए.
सबसे पहले ये समझिये कि साल दर साल स्कूल जाने वाली बच्चियों की संख्या में इजाफा हो रहा है और साइकिल योजना का बजट घट रहा है.
वर्ष छात्राएं बजट
2014-15 724494 204.30 करोड
2015-16 815837 180.00 करोड
2016-17 986633 169.20 करोड़
2017-18 1170384 50.00 करोड़
मतलब ये कि इस साल आवंटित राशि से मात्र 20 फीसदी आठवीं में पढने वाली बच्चियों को ही साइकिल मिल पाएगी. अर्थशास्त्री डॉ डी एम दिवाकर का कहना है कि विकास की प्राथमिकता रखें. मैं जानता हूं कई चीजें होती है जो राजनीतीक लाभ और परिस्थिति के साथ चीजें चलती है. लेकिन अगर जनता में ये भरोसा बना रहे तो विकास के साथ आप गठबंघन चला रहे हैं. तो राजनीतिक विकास के साथ जो न्याय का एजेंडा वो चलेगा.
आज बिहार सरकार नारी सशक्तिकरण के लिए विशेष अभियान चला रही है लेकिन दूसरी तरफ इसके लिए धरातल पर चलने वाली योजनाओं में ब्रेक लग रहा है. एक नजर इऩ आंकड़ों पर भी डालिये.
आठवीं में पढने वाली बच्चियों की संख्या - 1170384
प्रति छात्रा साइकिल योजना की राशि - 2500
संख्या के हिसाब से आवंटन चाहिए - 246.66 करोड
इस मद में बजट आवंटन - 50 करोड़
आवंटित राशि से योजना का लाभ - 20.3 फीसदी छात्राओं को
इन आंकड़ों की तरफ ध्यान दिलाने पर विभाग के मंत्री कृष्णनंदन वर्मा ने सफाई दी कि ये हम होने नहीं देंगे. पूरक बजट में और राशि का प्रावधान करेंगे क्योंकि मंत्री जी का मानना है कि इस योजना से माहौल बदला है.
बिहार सरकार नारी सशक्तिकरण के लिये 411 योजनाएं चला रही है. इनमे सिर्फ 18 वर्ष तक की बच्चियो के लिये कुल 42 योजनाएं चल रही है लेकिन यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि इनमे से ज्यादातर योजनाये इस महत्वकांक्षी साईकिल के पहिये की तरह पंचर हो चुकी है.