महागठबंधन की मीटिंग में दरार -नीतीश का सपना हुआ अधूरा .. ! राहुल गांधी समेत कई नेता मीटिंग में नहीं होंगे शामिल । क्या है रणनीति ?
PATNA NBL : पटना में भाजपा विरोधी विपक्षी दलों की पहली एकजुटता मीटिंग को लेकर राजद और जदयू के लोग बेहद उत्साहित नजर आ रहे हैं और बड़े बड़े दावे किए जा रहे हैं। लेकिन, अब मीटिंग से पहले ही सभी पार्टियों में सरफुट्टोवल शुरू हो गई है। जहां अरविं केजरीवाल के बिहार आने की संभावना लगभग न के बराबर है। वहीं नीतीश कुमार के साथ में फोटो खिंचवा कर साथ आने की बात करनेवाले राहुल गांधी और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे भी इस मीटिंग में शामिल नहीं होंगे।
पिक्चर अभी बाकी है: नीतीश की 12 जून वाली मीटिंग और मोदी के बिहार दौरा पर प्रशांत किशोर का बड़ा...https://youtu.be/IOOkJY1xHHc
बिहार के प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह ने पटना में शनिवार को पत्रकारों से कहा कि पार्टी की तरफ से एक मुख्यमंत्री और एक वरिष्ठ नेता आएंगे। सिंह ने कहा कि राहुल गांधी भारत में होते तो जरूर आते लेकिन वो 12 जून तक लौट नहीं रहे हैं। राहुल गांधी इस समय अमेरिका के दस दिन के दौरे पर हैं।
राहुल 31 मई को यात्रा पर गए थे और उस लिहजा से 10 मई तक उनके भारत वापस आने का अनुमान था। अखिलेश प्रसाद सिंह के यह बताने से कि 12 जून तक राहुल गांधी यहां नहीं हैं, यह साफ हो गया है कि इस मीटिंग में राहुल गांधी नहीं आएंगे। सिंह ने कहा कि राहुल की नीतीश कुमार से बात हो गई थी, मीटिंग अगर बाद में होती वो जरूर आते। कांग्रेस सिर्फ अपने एक मुख्यमंत्री समेत दो बड़े नेताओं को पटना भेजेगी।
इससे पहले कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने भी कहा था कि पार्टी ने मीटिंग की तारीख बढ़ाने की बात की थी। रमेश ने तब ये कहा था कि कांग्रेस पटना की मीटिंग में जरूर हिस्सा लेगी लेकिन उसकी तरफ से कौन नेता वहां जाएगा, ये अभी पार्टी ने तय नहीं किया है।
यह नेता हो सकते हैं शामिल
बता दें कि 12 जून को होनेवाली बैठक में शरद पवार, अखिलेश यादव, अरविंद केजरीवाल, उद्धव ठाकरे समेत अन्य नेताओं के शामिल होने की बात कही जा रही है। लेकिन अभी तक किसी ने पटना दौरे को कंफर्म नहीं किया है। सिर्फ ममता बनर्जी ने ही बैठक में शामिल होने की पुष्टि की है।
बता दें कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की मेजबानी में पटना में इस मीटिंग को आयोजित करने का सुझाव ममता बनर्जी ने दिया था और कहा था कि जिस तरह 1974 के आंदोलन की शुरुआत पटना से जेपी ने की थी, उसी तरह बीजेपी और नरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ चुनावी एकता की शुरुआत भी पटना से होनी चाहिए।