आरा लोकसभा चुनाव: किसके सिर सजेगा जीत का ताज? R.K. सिंह और सुदामा प्रसाद में से किसका पलड़ा भारी, जानिए समीकरण...
आरा : लोकसभा चुनाव में इस बार आरा लोकसभा सीट पर चुनाव का अंदाज निराला है। सामाजिक समीकरण तो आधार है ही, इस बार संगठनात्मक क्षमता और मुद्दों का संघर्ष भी चरम पर है। आरा लोकसभा को लेकर भाजपा के आर. के. सिंह और तरारी विधान सभा से माले के विधायक सुदामा प्रसाद के बीच सीधी, मगर कांटे का संघर्ष भी है। चुनाव में मुद्दों की हवा भी बह रही है। 'इंडिया' गठबंधन से माले प्रत्याशी जोर-शोर से कदवन जलाशय की दुर्गति का मुद्दा उठा रहे हैं तो वहीं सोन नहर की दुर्गति के किस्से भी सुना रहे है। एपीएमसी एक्ट (मंडी) की समाप्ति और किसानों की दुर्गति के किस्से भी सुना रहे है।
वहीं भाजपा आरा में लाभार्थी वर्ग की पूरी पटकथा सुना रही है। 10 किलो अनाज, उज्जवल योजना, किसान सम्मान निधि आदि आदि। हालांकि इन सबके बीच सामाजिक समीकरण का अपना-अपना हिसाब भी है। यह किसी के लिए जातियों में विभाजित है तो किसी के लिए धर्म के साथ।
क्या है आरा का सामाजिक समीकरण?
आरा में वोटों का समीकरण जातीय गोलंबदी में उलझा हुआ है। अगर जाति की बात की जाए तो यहां यादव से लेकर राजपूत-भूमिहार, मुस्लिम से लेकर ब्राह्मण और अत्यंत पिछड़ी जातियों की संख्या ज्यादा है। दलित वर्ग की भी अच्छी खासी संख्या है। यहां यादव मतदाताओं की संख्या सबसे ज्यादा है। जिले में लगभग 3 लाख 50 हजार यादव है। यह आरजेडी का परंपरागत वोट है। पर इन वोटों पर भाजपा का भी दखल बढ़ने लगा है। भाकपा माले के आधार वोट पिछड़ा, अतिपिछड़ा, मुसलमान समेत दलित समाज का वोट माना जाता है।
पासवान जाति के मतदाताओं की संख्या लगभग 50 हजार है। इनका जुड़ाव लोजपा और भाजपा के साथ हैं। चंद्रवंशी वोटरों की संख्या भी 50 हजार के करीब है। ये विभाजित हो जाते हैं। अतिपिछड़ा वोट पांच लाख से ऊपर है। भूमिहार जाति का वोट एक लाख 15 हजार है। कुछ बुजुर्ग लोग जो पुराने कांग्रेसी हैं, वो महागठबंधन प्रत्याशी को वोट करते है। शेष वोट भाजपा को मिलता रहा है।
राजपूत की संख्या लगभग तीन लाख के आसपास है। यह सीधे तौर पर भाजपा प्रत्याशी को जाता है। ब्राह्मण जाति के लगभग 70 हजार वोट हैं, जो अधिकतर भाजपा को जाता है। कुशवाहा वोटरों की संख्या एक लाख से अधिक है। इन पर दोनों गठबंधन का दावा है। मुस्लिम समुदाय की आबादी 1 लाख 25 हजार के आसपास है। यह वोट महागठबंधन के साथ है। कुर्मी-कोइरी-मांझी, वोट एनडीए के साथ है तो अतिपिछड़ा वोट पर दावा दोनों गठबंधन का है।
दावे अपने अपने...
बहरहाल गठबंधन दल के दावे अपने अपने हैं। इनके अपने तर्क है और इनकी अपनी गोलबंदी । फिर भी इनकी बात इनकी जुबानी....
सामाजिक समीकरण मेरे साथ: परवेज (प्रवक्ता, माले)
आरा लोकसभा में बेहतर परिणाम की अपेक्षा में संघर्षरत सीपीआई (एमएल) के प्रवक्ता परवेज आलम कहते हैं कि इस बार कड़वन जलाशय योजना और सोन नहर की अनदेखी में भाजपा की नैय्या डूबने वाली है। यहां की जनता आर. के. सिंह के झूठे विकास के नारों को समझ चुकी है। यह तो सांसद रहे आर. के. सिंह को भी पता होगा कि बिहार में सबसे ज्यादा पलायन वाला क्षेत्र आरा लोकसभा बन गया है। रोजगार नहीं देने वाली साकार को कौन लाना चाहेगा।
भाजपा के संगठन पक्ष का जवाब भी सीपीआईएमएल के पास है। माले का आरा में संघर्ष का पुराना इतिहास रहा है। मजबूत संगठन है और तो अब माले के दो विधायक भी हैं। और महागठबंधन के तो आरा लोकसभा में पांच विधायक हैं। और आखिरी बात सामाजिक समीकरण भी तो महागठबंधन के साथ है।
जीत की हैट्रिक लगाएंगे आर. के. सिंह: बीजेपी
नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में देश में तीसरी बार भारी बहुमत से सरकार बनना तय है। यह मानना है भाजपा प्रवक्ता राकेश पोद्दार का। राकेश पोद्दार ने कहा कि पीएम मोदी के नेतृत्व में हुए तेजी से विकास का असर है, दुनिया में भारत का डंका बज रहा है। इस बार आरा ही नहीं, बिहार में सभी 40 सीटों पर एनडीए की जीत होगी।
कार्यकर्ताओं ने बूथ स्तर तक मजबूती के साथ एकजुटता का प्रदर्शन करने पर विचार किया एवं रणनीति तैयार की। आम जनता ने इन बातों को समझ लिया है।जिस तरह से कांग्रेस अपने मेनिफेस्टो में विरासत टैक्स की बात की है, यानी आप जो मेहनत से कमाएंगे, वह आपके परिवार का नहीं होगा, बल्कि आधा धन टैक्स के रूप में ले लिया जाएगा। लोग उनके साथ जाने वाले नहीं हैं। चाहे विपक्षी दल कोई भी हो, जिसने भी इस मेनिफेस्टो का समर्थन किया है, जनता उन्हें चुनावी मैदान में हराने का काम कर रही है।
राकेश पोद्दार ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लगातार 10 सालों से गरीब कल्याण के लिए कई योजनाएं चलाई हैं, उसका असर भी जीत की ओर ले जा रहा है। देश की जनता को इससे फायदा भी हुआ है। और जिस तरह से छठे चरण तक के चुनाव में मोदी लहर चली है, जनता निश्चित तौर पर इस बार एनडीए को चार सौ पार पहुंचाएगी।