राष्ट्रीय जनता दल का उदय कैसे हुआ --जानिए लालू प्रसाद ने चार घोटाला में फँसने के बाद अपनी राजनीति को कैसे जिंदा रखे ?
NBL PATNA :पांच जुलाई, 1997 को देश की सियासत में एक नई राजनीतिक पार्टी का उदय हुआ. इस पार्टी के संस्थापक थे बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद और पार्टी का नाम था ' राष्ट्रीय जनता दल ' यानी राजद. मुस्लिम-यादव समीकरण के सहारे राजद ने करीब एक दशक तक बिहार में एकछत्र राज किया और आज भी वह बिहार के सबसे मजबूत दल के रूप में मौजूद है. राजद आज अपना 27वां स्थापना दिवस मना रही है. इसको लेकर पार्टी कार्यकर्ताओं और नेताओं में खासा उत्साह है. इसकी वजह ये है कि पार्टी के संस्थापक लालू प्रसाद स्वस्थ होकर बिहार में अपनी अगली पारी का आगाज 23 जून को कर चुके हैं.
राजद के गठन में चारा घोटाला मामले की अहम भूमिका मानी जाती है. चारा घोटाला में फंसने के बाद ही लालू प्रसाद ने जनता दल से अलग होकर नई पार्टी राजद बनाई थी.राजद का गठन पांच जुलाई, 1997 को हुआ था. उस वक़्त लालू प्रसाद तत्कालीन जनता दल के अध्यक्ष और बिहार के मुख्यमंत्री थे. तब लालू प्रसाद के दामन पर चारा घोटाले का दाग लग चुका था. नब्बे के दशक की शुरुआत से शुरू हुई चारा घोटाले के जांच की आंच लालू प्रसाद तक पहुँच चुकी थी.
केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआई ने लंबी जांच के बाद इस मामले में लालू प्रसाद के खिलाफ आरोप पत्र तैयार कर ली थी. घोटाले के बड़े आरोप के बीच जनता दल का एक धड़ा लालू प्रसाद पर पार्टी के अध्यक्ष और बिहार के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने का दबाव बना रहा था.लालू प्रसाद ने मौके की नजाकत को समझा और अपने विश्वासपात्रों की बैठक बुलाई. इस बैठक में लालू प्रसाद का समर्थन करने वाले 17 लोकसभा और आठ राज्यसभा सांसद शामिल हुए।
इस बैठक में तय हुआ कि जनता दल का दामन छोड़कर अब नई पार्टी का गठन किया जाए. सहयोगियों का समर्थन मिला तो लालू प्रसाद भी तैयार हो गए. राष्ट्रीय जनता दल के गठन का ऐलान किया गया और लालू प्रसाद को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया. लालू प्रसाद की नई पार्टी को लालटेन चुनाव चिह्न मिला और उन्होंने दावा किया किया कि लालटेन ही गरीब की कुटिया में रोशनी लाएगा और समाजवाद का नारा बुलंद करेगा.राजद गठन के समय बिहार की इयात में भारी उथल- पुथल का माहौल था.
चारा घोटाला मामले में लालू प्रसाद पर गिरफ्तारी की तलवार लटक रही थी. विपक्ष के साथ- आठ जनता दल के एक धड़े का भी लालू प्रसाद पर दबाव था. ऐसी स्थिति में लालू प्रसाद ने राष्ट्रीय जनता दल बनाया और गिरफ्तारी तय हो जाने के बाद लालू प्रसाद बिहार की बागडोर अपनी पत्नी राबड़ी देवी को सौंप कर जेल चले गए