विधानसभा विशेषाधिकार कमिटी में भाजपा ने उठाया लाठीचार्ज का मुद्दा .. क्या है रणनीति ?
NBL PATNA :बिहार में विधायकों के संवैधानिक अधिकार और प्रतिष्ठा बनी रहे, इसके लिए विधानसभा में विशेषाधिकार कमेटी बनायी जाती है. सदन के हर सत्र में विधायक बेलगाम अधिकारियों और पुलिस की करतूतों की शिकायत करते रहे हैं. लेकिन उनकी शिकायतों का कितना नोटिस लिया जाता है, इसका पता आज चला. आज पूरे दो साल बाद बिहार विधानसभा की विशेषाधिकार कमेटी की बैठक हुई. इस बैठक में सत्ताधारी विधायकों ने ही कहा कि बिहार में अफसरशाही बेलगाम हो गयी है. विशेषाधिकार कमेटी की बैठक में बीजेपी ने पटना में पिछले 13 जुलाई को प्रदर्शन के दौरान विधायकों पर हुए लाठीचार्ज का मुद्दा भी उठाया.
विशेषाधिकार कमेटी की बैठक में शामिल हुए सीपीएम विधायक अजय कुमार ने कहा कि बिहार में अफसरशाही और पुलिस बेलगाम हो गयी है. विधायक अजय कुमार ने कहा कि मैं खुद विशेषाधिकार कमेटी के मेंबर हूं. लेकिन पिछले साल मधुबनी के एसडीओ ने मेरे साथ ही बदसलूकी किया था. मैंने जब विशेषाधिकार कमेटी को इस मामले की लिखित जानकारी दी तो उसे दबाने की पूरी कोशिश की गयी. ब्यूरोक्रेसी ही नहीं बल्कि कई नेताओं ने इसे दबाने की पूरी कोशिश की. मैंने जनवरी में इस मामले की शिकायत की थी. 7 महीने बाद जुलाई में विशेषाधिकार कमेटी की बैठक में ये मामला आया.
बता दें कि सीपीएम बिहार के महागठबंधन में शामिल है. फिर भी उसके विधायक के साथ क्या हो रहा है ये विधायक ने खुद बताया. विधायक अजय कुमार ने कहा कि दो साल में बिहार विधानसभा की विशेषाधिकार कमेटी की आज पहली बैठक हुई. बेलगाम अफसरशाही का सामना सिर्फ एक विधायक नहीं कर रहे हैं. लगातार विधानसभा में विधायक बताते हैं कि बीडीओ तक उन्हें बैठने नहीं देता. लेकिन उस पर कोई सुनवाई नहीं होती. विधायक अजय कुमार ने कहा कि राजद के विधायक प्रह्लाद यादव ने काफी पहले शिकायत की थी कि एएसपी ने उनके साथ बदसलूकी की है. आज ये फैसला लिया कि विधायक अजय कुमार और प्रह्लाद यादव के साथ बदतमीजी करने वाले अधिकारियों को विशेषाधिकार कमेटी की बैठक में बुलाकर पूछताछ की जायेगी. उसके बाद आगे की कार्रवाई होगी.
वहीं, विशेषाधिकार कमेटी की बैठक में बीजेपी ने 13 जुलाई को पटना में हुए लाठीचार्ज का मुद्दा उठाया. बीजेपी की ओर से बैठक में शामिल हुए नेता प्रतिपक्ष विजय कुमार सिन्हा ने कहा कि उन्होंने इस मामले की शिकायत की है. अगर विधायकों की ही इज्जत नहीं रहेगी तो लोकतंत्र का क्या मतलब रह जायेगा.