लोक आस्था का चार दिवसीय महापर्व छठ अनुष्ठान खाय नहाय के साथ हुआ शुरू, चार साल की उम्र से छठ करते आ रहा है आदित्य उर्फ दीपक...
आरा : लोक आस्था का चार दिवसीय महापर्व मंगलवार से छठ अनुष्ठान खाय नहाय के साथ शुरू हो गया है। यह कठिन आस्थाओं का पर्व माना जाता है।खरना करने वालों वर्ती के लिए तो 36 घंटे का निर्जला उपवास अनिवार्य माना जाता है। कई ब्रती दंड प्रणामी देते हुए घर से छठ घाट तक जाते हैं। तो कोई शास्त्री के दिन शाम में डूबते हुए सूर्य देव को अर्घ देने के बाद रात्रि में कोसी पूजन कर दूसरे अर्घ के दिन जल में प्रवाहित कर देते हैं।
ऐसे में भोजपुर जिले के कोईलवर प्रखंड अंतर्गत बिंदगावां नया टोला गांव निवासी राम लखन सिंह के छोटे 20 वर्षीय पुत्र आदित्य कुमार उर्फ दीपक पिछले 16 वर्षों से 36 घंटे का निर्जला उपवास रखकर छठ का कठिन व्रत करते आ रहे हैं। इस साल भी आदित्य अपने गांव बिंदगावां नया टोला में सपरिवार छठ करेंगे और आज से छठ अनुष्ठान खाय नहा के साथ शुरू कर दिया है।
छठ महापर्व के दिन था जन्मदिन तो छठ करने की जागी लालसा...
वही आदित्य के पिता राम लखन सिंह ने बताया कि मेरा छोटा 20 वर्षीय पुत्र के द्वारा 16 वर्षों से 36 घंटे का निर्जला उपवास छठ का कठिन व्रत करते आ रहा है।वह उस समय मात्र चार वर्ष का था उसी समय वह पहला छठ व्रत किया था। मेरे पुत्र का जन्म 4 नवंबर 2004 को गांव पर ही हुआ था।वही वर्ष 2008 में उसकी उम्र चार वर्ष थी।उस साल ही उसके जन्मदिन के दिन 4 नवंबर को छठ था। वही वर्ष 2008 में दीपक के मन में छठ व्रत करने की लालसा जगी थी।
हम लोगों के द्वारा छठ अनुष्ठान नहीं करने को लेकर उसको मना भी किया गया था लेकिन उसके मन में छठी मैया के प्रति लालसा जग गईथी। उसने गांव के लोगों से सुना था कि जो कोई छठ महापर्व करता है उसकी छठी मैया सारी मनोकामना पूर्ण कर देती है। तब ही उसके घर में हो रहा है छठ महापर्व को देखकर मन में इच्छा जागी और उसने छठ करना शुरू कर दिया था। मेरे बेटा आदित्य उर्फ दीपक पर छठी मैया की कृपा बरकरार है जिसको लेकर आदित्य को किसी भी प्रकार की कोई दिक्कत नहीं होती है।
मेरे ऊपर छठी मैया की कृपा है बरकरार...
वही आदित्य उर्फ दीपक ने बताया कि गंगा और सोन के तटवर्तीय इलाके बिंदगावां नया टोला में मेरा गांव है। मेरे ऊपर छठी मैया का विशेष कृपा बनी हुई है जिसके कारण मैं 4 वर्ष की उम्र से छठ करते आ रहा हूं और अब मेरा उम्र 20 साल हो गया है। पापा ने कहा था की पूजा अर्चना करके मिठाई खा लेना तब मैंने कहा था कि हम मिठाई नहीं खाएंगे क्योंकि मैं छठ अनुष्ठान किया है।उसी समय से मैने छठ अनुष्ठान करना शुरू कर दिया था।
परिवार में वर्ष 2016 में एक बुजुर्ग का निधन हो गया था इसके बाद अन्य लोगों के निधन के बाद कुछ साल तक छत नहीं हुआ था। छठ महापर्व अनुष्ठान करने के लिए उम्र की महत्व नहीं माना जाता है दिन प्रतिदिन छठी मैया के प्रति मेरी श्रद्धा बढ़ते जा रही है और मैं पूरे गांव के लोगों के साथ इस साल भी आस्था के महापर्व छठ में भगवान सूर्य को अर्घ दूंगा।