18 जुलाई को एनडीए की होगी बैठक ,चिराग ,मुकेश सहनी होंगे खास .. क्या है रणनीति ?

18 जुलाई को एनडीए की होगी बैठक ,चिराग ,मुकेश सहनी होंगे खास .. क्या है रणनीति ?
18 जुलाई को एनडीए की होगी बैठक ,चिराग ,मुकेश सहनी होंगे खास .. क्या है रणनीति ?

NBL PATNA : लोकसभा चुनाव के पहले एक ओर जहाँ विपक्ष अपने को मजबूत करने के लिए विपक्षी एकजुटता की कवायद में जुटा है तो दूसरी ओर एनडीए भी अपने कुनबे को मजबूत करने में लग गई है. इसी क्रम में भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए ने 18 जुलाई को एक बैठक बुलाई है, जिसमें कई पूर्व सहयोगी दलों को बुलाए जाने की खबर है. इस बैठक से भाजपा की कोशिश बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को भी एक बड़ा संदेश देना है कि उनके खिलाफ बिहार में बड़ी घेराबंदी की तैयारी है. इसके लिए एनडीए की बैठक में बिहार से कई ऐसे राजनीतिक दलों को बुलाने की बात है जो अब तक आधिकारिक रूप से एनडीए में नहीं हैं. इसमें  एलजेपी (चिराग पासवान गुट) और मुकेश सहनी की पार्टी वीआईपी शामिल है. इसके अलावा जीतन राम मांझी की पार्टी हम, लोजपा (पशुपति पारस गुट) और उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी शामिल होंगे.

एनडीए की इस बैठक में मुख्य रूप से चिराग पासवान और मुकेश सहनी बेहद अहम होने जा रहे हैं. चिराग पासवान ने मोकामा और गोपालगंज के विधानसभा उप चुनाव में भाजपा उम्मीदवारों के लिए प्रचार किया था लेकिन वे अभी तक एनडीए में हैं इसकी आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है. वहीं उनके चाचा पशुपति पारस खुद केंद्रीय मंत्री हैं और चिराग के साथ उनका मनमुटाव जगजाहिर हैं. वहीं अगर पासवान वोट बैंक पर पकड़ की बात की जाए तो चिराग पासवान की लोकप्रियता सर्वाधिक है. ऐसे में एनडीए में अगर चाचा के साथ भतीजे चिराग को भी शामिल किया जाता है तो यह भाजपा के लिए अलग किस्म की चुनौती होगी कि दोनों को एक म्यान में रखकर साधना है. 

इसी तरह मुकेश सहनी की पार्टी वीआईपी को बिहार में भाजपा ने ही बड़ा झटका दिया था. यहां तक कि भाजपा के खिलाफ सहनी के आक्रामक रुख के बाद वे दोबारा विधान परिषद के सदस्य भी नहीं बन पाए थे . भाजपा के खिलाफ सहनी ने खुद को कई बार पेश किया और  मोकामा और गोपालगंज के विधानसभा उप चुनाव में खुलकर महागठबंधन के उम्मीदवारों का समर्थन किया. इसके पहले हुए विधानसभा उपचुनाव में पार्टी ने भाजपा के खिलाफ उम्मीदवार भी उतारे थे. लेकिन हाल के दिनों में सहनी को लेकर केंद्र सरकार की ओर दोस्ताना रुख अपनाया गया. सहनी को गृह मंत्रालय की पहल पर केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियों का सुरक्षा कवच मिला. कई भाजपा नेताओं ने सहनी को अपना पुराना मित्र बताया. यह एक संकेत रहा कि भाजपा चाहती है कि सहनी भी एनडीए का हिस्सा बनें. ऐसे में 18 जुलाई की बैठक में सहनी को शामिल कराने के लिए भीतरखाने बातें होने की चर्चा जोरों पर है.