ओडिशा ट्रेन दुर्घटना: जानिए कैसे हुआ भीषण रेल हादसा?

ओडिशा ट्रेन दुर्घटना: जानिए कैसे हुआ भीषण रेल हादसा?

ओडिशा के बालासोर ज़िले में शुक्रवार की शाम हुए रेल हादसे में अब तक 260 लोगों की मौत हो चुकी है. हादसे में क़रीब 1000 लोग घायल हुए हैं. घायलों में से कई लोगों की हालत गंभीर है.

यह हादसा कोरोमंडल एक्सप्रेस ट्रेन के एक मालगाड़ी को पीछे से टक्कर मारने की वजह से हुआ. रेलवे की तकनीकी भाषा में इसे हेड ऑन कॉलिज़न कहते हैं. ऐसे हादसे आमतौर पर बहुत कम देखने को मिलते हैं.

इस दुर्घटना में कोरोमंडल एक्सप्रेस के 12 डिब्बे पटरी से उतर गए. इनमें से कुछ डिब्बे दूसरी पटरी पर चले गए. दूसरी पटरी पर ठीक उसी वक़्त बेंगलुरु से आ रही यशवंतपुर-हावड़ा एक्सप्रेस गुज़र रही थी.

पटरी से उतरने के बाद कोरोमंडल एक्सप्रेस के जो डिब्बे दूसरी पटरी पर गए थे वो वहां से गुज़र रही यशवंतपुर-हावड़ा एक्सप्रेस से जा टकराई. इसके साथ ही यह भीषण हादसा हुआ. यह हादसा रेलवे के साउथ इस्टर्न ज़ोन के खड़गपुर डिविज़न में ब्राड गेज नेटवर्क पर हुआ है.

चलिए बताते हैं कि शुक्रवार की रात इस दुर्घटना के दौरान क्या क्या हुआ?

कैसे हुआ ये हादसा?

शुक्रवार 2 जून को हावड़ा के पास शालीमार रेलवे स्टेशन से ट्रेन नंबर 12841 शालीमार-मद्रास कोरोमंडल एक्सप्रेस अपने निर्धारित समय पर निकली. 23 डिब्बों की इस ट्रेन को अप लाइन पर बालासोर, कटक, भुवनेश्वर, विशाखापत्तनम और विजयवाड़ा होते हुए चेन्नई पहुंचना था.

इस ट्रेन ने दोपहर बाद 3 बजकर 20 मिनट पर अपना सफ़र शुरू किया और यह पहले संतरागाछी रेलवे स्टेशन पर रुकी और फिर महज़ 3 मिनट की देरी से खड़गपुर स्टेशन पर पहुंची.

ट्रेन शाम 5 बजकर 5 मिनट पर खड़गपुर स्टेशन से चलनी शुरू हुई. यह ट्रेन शाम 7 बजे बालासोर के पास बाहानगा बाज़ार रेलवे स्टेशन की तरफ़ बढ़ रही थी.

इस ट्रेन को बाहानगा स्टेशन पर बिना रुके सीधा आगे निकल जाना था, लेकिन यह स्टेशन पर मेन लाइन की बजाय लूप लाइन की तरफ़ चली गई. इस स्टेशन पर लूप लाइन पर एक मालगाड़ी खड़ी थी और तेज़ गति में चल रही कोरोमंडल एक्सप्रेस ने मालगाड़ी को पीछे से टक्कर मार दी.

ऑल इंडिया रेलवे मेन्स फ़ेडरेशन के महामंत्री शिव गोपाल मिश्रा ने बताया है कि किसी तकनीकी ख़राबी की वजह से कोरोमंडल एक्सप्रेस को हरा सिग्नल दिया गया या फिर तकनीकी गड़बड़ी से ही यह ट्रेन मेन लाइन को छोड़कर लूप लाइन पर चली गई, जिससे यह हादसा हुआ है.

कोरोमंडल एक्सप्रेस ट्रेन के मालगाड़ी को पीछे से टक्कर मारी, इस कारण ट्रेन के 12 डिब्बे पटरी से उतर गए. इसके कुछ डिब्बे गिरकर दूसरी तरफ़ डाउन लाइन तक पहुंच गए और उस पर आ रही यशवंतपुर-हावड़ा एक्सप्रेस से टकरा गए.

जब हुआ दूसरी ट्रेन से टक्कर...

ठीक इसी समय यशवंतपुर से हावड़ा की तरफ़ आ रही 12864 यशवंतपुर हावड़ा एक्सप्रेस ट्रेन हादसे वाली जगह को क्रॉस कर रही थी. 22 डब्बों की यह ट्रेन क़रीब 4 घंटे की देरी से चल रही थी और ट्रेन का ज़्यादातर हिस्सा हादसे वाली जगह से आगे निकल चुका था.

तभी कोरोमंडल एक्सप्रेस ट्रेन का हादसा हुआ और इसके कुछ डिब्बे गिरने के बाद लुढ़कते हुए यशवंतपुर- हावड़ा एक्सप्रेस के पिछले हिस्से से टकरा गए. इस टक्कर से दूसरी ट्रेन के भी 3 डिब्बे पटरी से उतर गए.

रेल मंत्रालय के प्रवक्ता अमिताभ शर्मा ने शुक्रवार रात एक बयान में कहा है कि यह हादसा शुक्रवार शाम क़रीब सात बजे हुआ था और हादसे में दोनों ट्रेनों के कुल क़रीब 15 डिब्बे पटरी से उतर गए.

रेलवे के जानकार और रेलवे बोर्ड के पूर्व सदस्य (ट्रैफ़िक) श्रीप्रकाश ने बीबीसी को बताया है कि जिस तरह की जानकारी आ रही है उससे लगता है कि यह हादसा बहुत बड़ी मानवीय ग़लती से हुआ है.

श्रीप्रकाश के मुताबिक़, “अगर कोई ट्रेन किसी ट्रैक पर खड़ी होती है तो उस ट्रैक पर दूसरी ट्रेन न आ सके इसके लिए पॉइंट रिवर्स कर दिए जाते हैं ताकि ट्रेन दूसरे ट्रैक पर रहे. अगर किसी तकनीकी ख़राबी से ऐसा नहीं हो पाता है तो फ़ौरन ही रेड लाइट सिग्नल कर दिया जाता है ताकि जो भी ट्रेन आ रही हो वो रुक जाए.”

ट्रेनों की स्पीड

शिव गोपाल मिश्रा के मुताबिक़, इस रूट पर ट्रेनों की स्पीड क़रीब 15 दिन पहले ही बढ़ाकर अधिकतम स्पीड 130 किलोमीटर प्रति घंटा की गई थी.

उनके मुताबिक़ हादसे के वक़्त कोरोमंडल एक्सप्रेस की रफ़्तार क़रीब 128 किलोमीटर प्रति घंटे की थी, जबकि दूसरी ट्रेन भी क़रीब 125 किलोमीटर प्रतिघंटे की स्पीड से चल रही थी.

इसी स्पीड की वजह से कोरोमंडल एक्सप्रेस को ज़्यादा नुक़सान हुआ. वहीं स्पीड की वजह से यशवंतपुर-हावड़ा एक्सप्रेस ट्रेन का ज़्यादातर हिस्सा हादसे वाली जगह को पार कर चुका था और इसका केवल पिछला हिस्सा हादसे का शिकार हुआ.

ख़ास बात यह भी है कि हादसे की शिकार हुई दोनों ही ट्रेनें एलएचबी कोच की थीं. ‘लिंके हॉफ़मैन बुश’ कोच जर्मन डिज़ाइन के कोच होते हैं और हादसों के लिहाज से ज़्यादा सुरक्षित माने जाते हैं.

रेलवे के पुराने आईसीएफ़ डिज़ाइन के कोच के मुक़ाबले हादसे में एलएचबी के डिब्बे एक दूसरे के ऊपर नहीं चढ़ते हैं, इससे किसी डिब्बे के दबने का ख़तरा नहीं होता है और मुसाफ़िरों को जान का ख़तरा कम होता है.

ओडिशा हादसे की तस्वीरों से पता चलता है कि कोरोमंडल एक्सप्रेस ट्रेन का इंजन मालगाड़ी के उपर चढ़ गया. जबकि इंजन के पीछे के कई डिब्बे आपस में टकराने से दब गए.

हेल्पलाइन नंबर...

दक्षिण पूर्व रेलवे ने हादसे से प्रभावित लोगों की मदद के लिए कई हेल्पलाइन नंबर जारी किए हैं. साथ ही शनिवार को दक्षिण पूर्व रेलवे हावड़ा से बालासोर के लिए स्पेशल ट्रेन चला रहा है जिसके ज़रिए परिजन दुर्घटना वाली जगह तक पहुंच सकते हैं.

ये ट्रेन संतरागाछी, उलुबेरिया, बागनान, मेचेडा, पांसकुरा, बालीछक, खड़गपुर, हिजली, बेल्दा और जलेश्वर पर रुकेगी.