महागठबंधन मे फँसेगा पेंच -सभी पार्टी की है अपनी महत्वाकांक्षा .. जानिए कौन सी पार्टी का कितना डिमांड ?

महागठबंधन मे फँसेगा पेंच -सभी पार्टी की है अपनी महत्वाकांक्षा .. जानिए कौन सी पार्टी का कितना डिमांड ?
महागठबंधन मे फँसेगा पेंच -सभी पार्टी की है अपनी महत्वाकांक्षा .. जानिए कौन सी पार्टी का कितना डिमांड ?

NBL PATNA :पटना में 23 जून को होने वाली विपक्षी एकता की बैठक के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जो फॉर्मूला तय किया है, वह विपक्षी पार्टियों पर फिट नहीं बैठता है। सीएम नीतीश ने अगले लोकसभा चुनाव के लिए वन अगेंस्ट वन का फॉर्मूले सेट किया है। यानी भाजपा या उसके गठबंधन के कैंडिडेट जिस सीट से चुनाव लड़ेंगे, उस सीट से विपक्षी एकता में शामिल पार्टियों में से सिर्फ एक ही भाजपा के खिलाफ अपना उम्मीदवार उतारेगा।https://youtu.be/djj1DWvEUyY

वहीं, सीएम नीतीश का ये फॉर्मूला कांग्रेस के लिए कहीं न कहीं असमंजस की स्थिति पैदा कर सकता है। क्योंकि कांग्रेस पार्टी की चाहत है कि वह पूरे देश में सबसे ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़े। इस बीच कांग्रेस नेता अभी से ही इस बात की चर्चा करने लगे हैं कि कम से कम 350 सीटों पर कांग्रेस चुनाव लड़े। ऐसे में सवाल उठता है कि जहां क्षेत्रीय दल मजबूत है वहां कांग्रेस के एंट्री कैसे होगी।https://youtu.be/djj1DWvEUyY

इधर, बहुजन समाजवादी पार्टी का सुर बदला हुआ है। बसपा सुप्रीमो मायावती की पार्टी एकला चलो की राह पर दिख रही है। वहीं, नीतीश कुमार के इस फॉर्मूले पर भाजपा ने सिर्फ एक खानापूर्ति बताया है।https://youtu.be/djj1DWvEUyY


अब इस बात से समझा जा सकता है कि बिहार में जदयू के 16 सांसद हैं। 2024 में जदयू 16 या उससे ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ना चाहेगी। तो वहीं, आरजेडी 15 से 20 सीटों की मांग कर सकती है।https://youtu.be/E69BKAPg5Hg

बता दें कि बिहार में 40 लोकसभा सीट है। महागठबंधन में 7 राजनीतिक दल हैं। अगर आरजेडी और जदयू 15-15 सीटों पर भी चुनाव लड़ती है तो बाकी बचे 10 सीटों में कांग्रेस को कितनी सीट मिलेगी ये सबसे बड़ा सवाल है। ऐसे में लेफ्ट की तीन पार्टियां कितने सीटों पर चुनाव लड़ेगी और जीतन राम मांझी को कितना सीट दिया जाएगा...। ये भी एक बड़ा इश्यू है।https://youtu.be/E69BKAPg5Hg

लगभग यही स्थिति दूसरे राज्यों में भी बनने वाली है। ममता बनर्जी पश्चिम बंगाल में ज्यादा से ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ेगी। तो वहीं उत्तर प्रदेश में भी समाजवादी पार्टी के अखिलेश यादव अधिक सीटों पर चुनाव लड़ना चाहेंगे।


कभी उत्तर प्रदेश कांग्रेस का गढ़ हुआ करता था। ऐसे में कांग्रेस वहां भी सबसे ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ना चाहेगी। पिछले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस, सपा और बसपा ने मिलकर चुनाव लड़ा था, जिसमें कांग्रेस को सिर्फ एक सीट पर ही जीत हासिल हुई थी। ऐसे में समाजवादी पार्टी उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को ज्यादा सीट देने के फिराक में नहीं है।https://youtu.be/E69BKAPg5Hg

वहीं, दूसरी तरफ मायावती की पार्टी को अब तक विपक्षी एकता की बैठक के लिए निमंत्रण नहीं मिला है। यही वजह है कि बसपा अपनी अलग राह पकड़े हुए है। पार्टी लोकसभा में ज्यादा से ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है।

बहुजन समाजवादी पार्टी के बिहार प्रभारी अनिल कुमार सिंह बताते हैं कि वह बहन मायावती को प्रधानमंत्री बनाना चाहते हैं। इसलिए बिहार सहित यूपी में ज्यादा से ज्यादा सीट पर चुनाव लड़ेंगे और दर्जनों सांसद को दिल्ली भेजकर बहन मायावती को प्रधानमंत्री बनाएंगे।


भाजपा विपक्षी एकता के इस फार्मूले पर तंज कस रही है। पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता निखिल आनंद ने कहा कि कभी भी इनका फर्मूला सेट नहीं होने वाला है। सभी पार्टियों की अपनी अपनी महत्वकांक्षएं हैं। जो 23 तारीख को बैठक होनी है उसमें भी सभी पार्टी के नेता नहीं आएंगे और आएंगे भी तो सिर्फ खानापूर्ति के लिए आएंगे।

एक कदम आगे बढ़ते हुए निखिल आनंद यह भी कहते हैं कि 23 तारीख की जो बैठक होगी वह नीतीश कुमार के लिए संन्यास लेने वाली बैठक होगी। इस बैठक में नीतीश कुमार अपना पूरा बागडोर तेजस्वी यादव को दे देंगे।